लॉरेंस बिश्नोई के समर्थन में उतरा विश्नोई समाज, अध्यक्ष देवेंद्र बूढ़िया बोले- 'सलमान खान अगर...'
Jodhpur News: देवेंद्र बुढ़िया ने कहा, 'सलमान खान समाज का दोषी है. उसने हिरणों का शिकार किया है, जीव हत्या की है. आज 26 साल हो चुके हैं, हिरणों के शिकार का मामला अभी तक कोर्ट में विचाराधीन है.'
Rajasthan News: बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान को जान से मारने की धमकी देने वाले गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को लेकर बिश्नोई महासभा का बयान सामने आया है. विश्नोई महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बुढ़िया ने कहा, लॉरेंस बिश्नोई को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है. हमारा पूरा बिश्नोई समाज लॉरेंस बिश्नोई के साथ है. लॉरेंस बिश्नोई समाज का बेटा है. उसने कोई हत्या नहीं की है, वह तो जेल में बंद है.
एबीपी न्यूज़ से बातचीत करते हुए देवेंद्र बुढ़िया ने कहा," सलमान खान समाज का दोषी है. उसने हिरणों का शिकार किया है, जीव हत्या की है. आज 26 साल हो चुके हैं, हिरणों के शिकार का मामला अभी तक कोर्ट में विचाराधीन है. देश का कानून उसे सजा देगा. हमारा समाज सभी मामलों में पैरवी कर रहा है. सलमान खान घमंडी है, उन्होंने अभी तक अपनी गलती नहीं मानी है."
माफी मांगें सलमान- देवेंद्र बूढ़िया
उन्होंने कहा, "सलमान खान अगर बिश्नोई समाज के मुकाम धाम पर आकर समाज के सामने माफी मांगे तो समाज उन्हें माफ करने के लिए विचार कर सकता है. सलमान खान वहां जाकर कहें कि वो कभी भी जीव हत्या नहीं करेंगे. बिश्नोई समाज का सम्मान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी करते हैं. बिश्नोई समाज एक ऐसा समाज है जो पर्यावरण और वन्यजीवों की रक्षा करता है. उन्हें अपने बच्चों से भी ज्यादा वन्य जीवों से प्रेम होता है."
देवेंद्र बूढ़िया ने कहा, "बिश्नोई समाज ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई अहम भूमिका निभाई है. हमारे समाज के 363 लोग हरे भरे पेड़ को काटने के नाम पर शहीद हो गए थे. ऐसे में आज से 550 साल पहले कोई पेड़ पर्यावरण और वन्य जीव को लेकर चिंता करें ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता है. ऐसे में भारत में एक ऐसे महान संत हुए जिन्होंने आज से 550 साल पहले पर्यावरण की चिंता की और न केवल चिंता की बल्कि एक नया पंथ शुरू किया जो आज पर्यावरण योद्धा यानी बिश्नोई समाज के नाम से जाना जाता है.
उन्होंने आगे कहा, "गुरु जंभेश्वर भगवान ने आज से 550 साल पहले पर्यावरण रक्षा के लिए इतनी गंभीर बात की, जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता. उन्होंने कहा था, 'सिर कटे रुख बचे तो भी सस्ती जान' यानी एक पेड़ को बचाने के लिए अगर व्यक्ति को सिर भी कटाना पड़े तो सौदा सस्ता है. आज बिश्नोई समाज उनके आदर्शों पर चल रहा है और पर्यावरण संरक्षण और वन्य पशु की रक्षा और संवर्धन के लिए अपनी जान तक न्योछावर करने के लिए तैयार है."