कोटा में मेयर ने बढ़ाया कंफ्यूजन, BJP के हैं या कांग्रेस के नहीं हो पा रहा तय, न दे रहे इस्तीफा
कोटा में एक महापौर ऐसा है जो किसी के समझ नहीं आ रहा है यह भाजपा का है या कांग्रेस का. अब प्रशासन और कांग्रेस को समझ नहीं आ रहा कि क्या किया जाए, प्रशासन ने उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन मांगा है.

Kota News: कोटा में एक महापौर ऐसा है जो किसी के समझ नहीं आ रहा है कि यह बीजेपी का है या कांग्रेस का. ऐसे में अब प्रशासन और कांग्रेस को समझ नहीं आ रहा कि क्या किया जाए. प्रशासन ने भी इसके लिए उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन मांगा है. जब महापौर से सवाल किया गया कि वह किस पार्टी के हैं तो उन्होंने बताया कि बीजेपी के हैं, लेकिन बोर्ड कांग्रेस का लगा है. ऐसे में वो महापौर कैसे रह सकते हैं? इसके लिए अब कांग्रेस ने भी कोटा दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
महापौर राजीव अग्रवाल के इस्तीफे की मांग उठी
जिला कांग्रेस कार्यालय में शहर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष रविन्द्र त्यागी की अध्यक्षता में आयोजित कांग्रेस पार्षदो की बैठक में महापौर राजीव अग्रवाल ने लोकसभा चुनाव में भाजपा पार्टी की सदस्या ग्रहण करने पर सर्व सम्मति से महापौर राजीव अग्रवाल के महापौर पद से इस्तीफे की मांग उठा कर प्रस्ताव पारित किया गया.
शहर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष रविन्द्र त्यागी न कहा की नगर निगम कोटा दक्षिण के चुनाव नवम्बर 2020 में हुए थे तब कांग्रेस पार्षदों द्वारा राजीव अग्रवाल को महापौर निर्वाचित किया गया था लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में महापौर राजीव अग्रवाल द्वारा कांग्रेस पार्टी को छोडकर बीजेपी का दामन थाम लिया तो सैद्धांतिक रूप से उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए जो आज दिन तक नहीं दिया है जबकि बीजेपी की सदस्यता लिए हुए लगभग तीन माह होने को हैं.
महापौर भी भाजपा का और नेता प्रतिपक्ष भी बीजेपी का
कोटा का यह मामला शायद देश का पहला मामला होगा जहां सत्ता और विपक्ष एक साथ हैं. यहां बडी ही विचित्र स्थिति पैदा हो गई जहां महापौर भाजपा का है तो नेता प्रतिपक्ष भी भाजपा का है. नियमानुसार बहुमत का आंकडा भाजपा के पास नहीं होने से उन्होंने महापौर को अपनी ओर कर लिया. अब कांग्रेस छटपटा रही है कि यहां उनका महापौर होना चाहिए, इन्हें कैसे हटाया जाए.
नया महापौर कांग्रेस का कैसे बैठाया जाए, इस पर अब मंथन तेज हो गया है. लोकसभा चुनाव के बाद बने समीकरण के चलते अब कांग्रेस ने इस विषय पार मोर्चा खोल दिया है. त्यागी ने कहा कि नगर निगम में एक ही दल का माहापौर और नेता प्रतिपक्ष होना नियमों के खिलाफ है. राजस्थान सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए.नहीं तो कांग्रेस पार्षदों के साथ नगर निगम में विरोध प्रदर्शन करेगी.
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