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Rajasthan News: जोधपुर में जाति सूचक शब्दों पर बने गाने का विरोध, सरकार से बैन करने की मांग
Jodhpur News: मेवाड़ा कलाल क्षत्रिय समाज के लोगों ने कहा कि इस तरह के जाति सूचक गानों से समाज की प्रतिष्ठा धूमिल होती है, जो हमारे समाज के लिए असहनीय है. इससे समाज में रोष और आक्रोश बढ़ रहा है.
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Rajasthan News: राजस्थान के जोधपुर (Jodhpur) में मेवाड़ा (कलाल) क्षत्रिय समाज के लोगों ने लोक कलाकारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है. इनका कहना है कि लोक कलाकारों द्वारा 'कलाली' शब्द का उपयोग कर जाति सूचक गाने बनाए गए हैं. इन गानों में महिलाओं को लेकर जाति सूचक, आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग किया गया है. यह गाने शादी-विवाह पार्टियों में डीजे पर बजाए जाते हैं. इससे समाज की महिलाओं की प्रतिष्ठा कम होती है.
जाति सूचक इन गानों पर नाराजगी जताते हुए पुरुष और महिलाओं ने जोधपुर जिला कलेक्टर के सामने विरोध जताया. साथ ही कलेक्टर को राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम जाति सूचक अश्लील गाने "कलाली" पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए ज्ञापन सौंपा है. मेवाड़ा कलाल क्षत्रिय समाज पूरे देश में करोड़ों की संख्या में रहते हैं. इन लोगों के कहना है कि हमारी मातृ शक्ति पर एक अशोभनीय गाना "कलाली" लोक गायकों, दमामी, ढोली, ऑडियो और विडियो कैसेट, यूट्यूब, गूगल के साथ शादी समारोह और सार्वजनिक स्थलों पर सालों से धड़ल्ले से बजाया जा रहा है.
इन गानों से समाज की प्रतिष्ठा धूमिल
इससे कलाल समाज की भावनाएं आहत होती है. इस तरह के जाति सूचक गानों से समाज की प्रतिष्ठा धूमिल होती है, जो हमारे समाज के लिए असहनीय है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार महिला शक्ति के मान सम्मान के लिए अनेक जन कल्याण कारी योजनाएं लागू कर रही है. वहीं दूसरी ओर यह कुछ लोग महिलाओं की प्रतिष्ठा को तार-तार कर रहे हैं.
अनेको बार आगाह करने के बावजूद इस अश्लील गाने पर पूरी तरह से रोक नहीं लग सकी है. इससे समाज में रोष और आक्रोश बढ़ रहा है. सरकार अभी इस पर रोक नहीं लगाएगी, तो मेवाड़ा कलाल क्षत्रिय समाज सड़कों पर उतरेगी, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी. मंगलवार (12 मार्च) को मेवाड़ा कलाल क्षत्रिय समाज द्वारा संभाग स्तरीय महापंचायत आयोजित कर सरकार से ज्ञापन के जरिए निवेदन कर इस गाने पर पूरी तरह से रोक लगाए जाने की मांग की.
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