Rajasthan: गहलोत सरकार सड़क हादसों पर लगाएगी लगाम, अजमेर में ऑपरेशनल सड़क सुरक्षा ऑडिट कमेटी का हुआ गठन
Ajmer News: सड़क हादसों का कारण, हादसे रोकने के उपाय, वाहन चालकों का व्यवहार, चिकित्सा सुविधा एवं अन्य उपायों पर सर्वे और कार्रवाई के लिए अजमेर में ऑपरेशनल सड़क सुरक्षा ऑडिट कमेटी का गठन किया गया है.
Rajasthan Operational Road safety Audit Committee: राजस्थान (Rajasthan) में बढ़ते सड़क हादसों (Road Accident) में कमी लाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने नई योजना बनाई है. इस योजना के तहत मंगलवार को अजमेर जिले से बड़ी कवायद शुरू की गई है. सड़क हादसों का कारण, हादसे रोकने के उपाय, वाहन चालकों का व्यवहार, चिकित्सा सुविधा एवं अन्य उपायों पर सर्वे और कार्रवाई के लिए जिले में ऑपरेशनल सड़क सुरक्षा ऑडिट कमेटी का गठन किया गया है. प्रादेशिक परिवहन अधिकारी की सदारत वाली ये कमेटी जिले से गुजरने वाले पांच प्रमुख राजमार्गों पर जल्द ही सर्वे शुरू करेगी. इस कार्य के लिए विभिन्न एजेंसियों का सहयोग भी लिया जाएगा.
सीएम के निर्देश पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू
ऑपरेशनल सड़क सुरक्षा ऑडिट कमेटी की पहली बैठक अजमेर कलेक्ट्रेट सभागार में जिला कलक्टर अंश दीप की अध्यक्षता में आयोजित की गई. बैठक में नोडल अधिकारी और प्रादेशिक परिवहन अधिकारी डॉ वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने पावर पॉईंट प्रजेंटेशन के माध्यम से ऑपरेशनल ऑडिट की कार्य योजना प्रस्तुत की. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सड़क हादसों को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इन निर्देशों की पालना करते हुए अजमेर जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत कार्रवाई शुरू की गई है. कमेटी कई पहलुओं पर काम करेगी.
इन्हें किया कमेटी में शामिल
प्रादेशिक परिवहन अधिकारी (नोडल अधिकारी), परियोजना निदेशक, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (सह नोडल अधिकारी), पीडब्ल्यूडी अधीक्षण अभियंता, चिकित्सा विभाग, पुलिस विभाग, यातायात पुलिस, मैनेजर टेक्निकल राष्ट्रीय राजमार्ग 448, 58, 48, 79, एवं 14, डीटीओ ब्यावर, डीटीओ अजमेर, डीटीओ किशनगढ़, पुलिस उप अधीक्षक यातायात अजमेर, नेशनल हाईवे पर स्थित सभी पुलिस उप अधीक्षक, मैनेजर आईआरएडी एनआईसी एवं विभिन्न टोल के प्रतिनिधि इस कमेटी में शामिल किए गए हैं.
कमेटी के उद्देश्य
• जिले में राष्ट्रीय राजमार्गों के रोड इंजीनियरिंग दोष को ज्ञात करने के लिए सड़क सुरक्षा ऑडिट.
• ब्लैक स्पॉट का संयुक्त भ्रमण कर दुरुस्तीकरण की कार्रवाई.
• राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से जारी एसओपी लागू करना.
• गलत लेन ड्राइविंग, गति नियंत्रण, गलत दिशा में वाहन चलाना, ओवरटेकिंग, गलत पार्किंग पर रोक, राइट ऑफ-वे में अतिक्रमण हटाना.
• सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार की 26 जून 2020 को जारी गाइडलाइन को सख्ती से लागू करना.
• एजुकेशन, एनफोर्समेन्ट, इंजीनियरिंग एवं हैल्थ ड्राइव चलाकर दुर्घटनाओं में कमी लाकर सुरक्षित हाईवे बनाना.
ये है कार्य योजना
यूजर बिहेवियर सर्वे- राष्ट्रीय राजमार्गों पर 20-20 किलोमीटर के हाईवे के स्ट्रेच बनाकर सड़क के दोनों ओर से आने वाले ट्रैफिक में हेलमेट, सीट बेल्ट, मोबाईल पर बात करना, गलत दिशा में वाहन चलाना, अंडर रन सेफ्टी डिवाइस का लगा होना, रिफ्लेक्टिव टेप, निर्धारित लेन ड्राईविंग, ओवर स्पीडिंग आदि से संबंधित नियम उल्लघंन के संबंध में सड़क उपयोगकर्ताओं के व्यवहार को ज्ञात करने के लिए बेस लाईन सर्वे करना.
ट्रेफिक वॉल्यूम सर्वे- राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात के दबाव का पता करने के लिए हाईवे के अलग-अलग स्ट्रेच बनाकर वाहनों को विभिन्न श्रेणियों में बांटकर 24 घंटे सड़क के दोनों ओर सर्वे.
सड़क दुर्घटनाओं के ट्रेंड ज्ञात करना- हाइवे के पुलिस थानों से पिछले 5 साल की घातक सड़क दुर्घटनाओं का विवरण मय एफआईआर प्राप्त कर उनका विशलेषण करना.
पब्लिक ओपिनियन सर्वे- हाईवे के किनारे ढाबा, होटल, पेट्रोल पंप, टोल नाका व सामाजिक कार्यकर्ताओं से एनजीओ के जरिए दुर्घटनाओं के कारण के संबंध में सलाह लेना.
सर्वे के बाद इन बिंदुओं पर बनेगी रणनीति
• वाहन चालकों को सुरक्षित चालन एवं सड़क सुरक्षा का प्रशिक्षण.
• नियमों की पालना के लिए प्रभावी प्रवर्तन कार्रवाई एवं जुर्माना.
• चिकित्सा सुविधाओं का विकास.
• सड़कों की स्थिति में सुधार, ब्लैक स्पॉट पर सुरक्षात्मक उपाय.
• विभिन्न विभागों का समन्वय.
• हाईवे के किनारे गांवों में सड़क सुरक्षा अग्रदूत तैयार करना.
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