Punjab: बर्तन धोए-जूते-चप्पलें साफ कीं... सिख परंपरा तोड़ने पर पांच हस्तियों को मिली धार्मिक सजा
Amritsar News: पंजाब के अमृतसर में अकाल तख्त साहिब ने सिख परंपराओं का उल्लंघन करने पर पांच व्यक्तियों को धार्मिक सेवा की सजा दी. विरसा सिंह वल्टोहा समेत सभी को हरिमंदिर साहिब में सेवा करनी पड़ी.

Amritsar News: पंजाब के अमृतसर में सिख समुदाय की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त साहिब ने सिख परंपराओं का उल्लंघन करने के आरोप में पांच प्रमुख व्यक्तियों को धार्मिक सजाएं दी हैं. यह फैसला गुरमत सिद्धांतों और अनुशासन को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है. धार्मिक सजाओं का अर्थ है कि आरोपी व्यक्ति सेवा (सेवा-कार) करके अपनी गलती का प्रायश्चित करते हैं.
कौन-कौन पहुंचे सेवा करने?
सजा पाने वालों में शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता विरसा सिंह वल्टोहा भी शामिल हैं. आदेश मिलने के बाद वे अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) पहुंचे और वहां विनम्रता से सेवा की. उन्होंने बर्तन धोए, जूते-चप्पलें साफ कीं. यह सेवा गुरुद्वारे में प्रायश्चित का सबसे पवित्र तरीका माना जाता है.
सिख परंपराओं के उल्लंघन और धार्मिक मर्यादाओं के खिलाफ बयान या कदम उठाने के आरोप में अकाली नेता विरसा सिंह वल्टोहा, गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. करमजीत सिंह, निर्वैर खालसा जत्था, यूके भाई हरिंदर सिंह, अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह और पंजाब भाषा विभाग के डायरेक्टर जसवंत सिंह को सजा मिली है. अकाल तख्त ने कहा कि धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है.
अकाल तख्त का स्पष्ट संदेश
अकाल तख्त ने जोर देकर कहा, "सिख धर्म में अनुशासन और सम्मान सर्वोपरि हैं. गुरुओं, परंपराओं और पवित्र स्थानों के खिलाफ कोई टिप्पणी, अपमान या निरादर सख्ती से वर्जित है. सभी को गुरमत (गुरुओं की शिक्षा) के अनुसार जीवन जीना चाहिए."
धार्मिक सजा इसी उद्देश्य से दी जाती है ताकि समुदाय में श्रद्धा और अनुशासन कायम रहे और लोग अपनी गलतियों से सीख सकें. स कार्रवाई के बाद सिख समुदाय में यह संदेश गया है कि चाहे कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा पद या प्रतिष्ठा रखता हो, धार्मिक मर्यादाओं का पालन सभी के लिए समान रूप से अनिवार्य है.
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