पंजाब: AAP ने अमृतसर विधायक कुंवर विजय प्रताप को किया सस्पेंड, इस वजह से हुआ एक्शन
Punjab News: पार्टी सूत्रों ने बताया कि विजय प्रताप सिंह को पार्टी से निलंबित करने का फैसला ‘आप’ की राजनीतिक मामलों की समिति ने लिया. पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है.

AAP Suspends MLA Kunwar Vijay Pratap Singh: आम आदमी पार्टी (AAP) ने रविवार (29 जून) को अमृतसर उत्तर सीट से विधायक और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के पूर्व अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया. पार्टी ने उन्हें पांच साल के लिए निलंबित कर दिया है.
सिंह ने कुछ दिन पहले आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के अमृतसर स्थित आवास पर सतर्कता ब्यूरो की छापेमारी के तरीके पर सवाल उठाया था.
AAP की राजनीतिक मामलों की समिति का फैसला
पार्टी सूत्रों ने बताया कि विजय प्रताप सिंह को पार्टी से निलंबित करने का फैसला ‘आप’ की राजनीतिक मामलों की समिति ने लिया. उन्होंने कहा कि सरकार का संदेश स्पष्ट है कि मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान में राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने बताया कि सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पांच साल के लिए पार्टी से निलंबित किया गया है.
विजय प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया पर उनके निलंबन की खबर आने के तुरंत बाद फेसबुक पर पोस्ट किया, ''कबीर, जिस मरने ते जग डरै, मेरे मन आनंद.'' विजिलेंस ब्यूरो ने 25 जून को आय से अधिक संपत्ति मामले में मजीठिया के आवास पर छापा मारने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.
25 जून को को कुंवर विजय ने क्या लिखा था?
सिंह ने 25 जून को अपने फेसबुक अकाउंट पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा था, 'परिवार का सम्मान सभी का होता है; चाहे वो नेता हो या अभिनेता, अमीर हो या गरीब; दोस्त हो या दुश्मन. सुबह सुबह किसी के घर छापे डालना नीति के खिलाफ है लगभग हर आने वाली सरकार ने अपने फायदे के लिए पुलिस और सतर्कता का दुरुपयोग किया है, लेकिन नतीजा कभी महत्वपूर्ण नहीं रहा.''
मजीठिया के घर छापेमारी का किया था विरोध
उन्होंने लिखा, 'मैं किसी से राजनीतिक रूप से असहमत हो सकता हूं, वैचारिक अंतर हो सकता है, लेकिन जब बात नीति, धर्म और परोपकार की हो, तो चर्चा करना अनिवार्य हो जाता है. जब कांग्रेस सरकार के दौरान दर्ज मामले में मजीठिया साहब जेल में थे, तब मान साहब सरकार ने कोई रिमांड नहीं ली और कोई पूछताछ नहीं हुई; बाद में मान साहब की सरकार में जमानत मिल गई.''
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने यह भी लिखा, 'माननीय हाई कोर्ट ने (मजीठिया को) इस आधार पर जमानत दी कि अगर पुलिस को पूछताछ के लिए (उनकी) आवश्यकता नहीं है, तो हिरासत में रखना कानून के खिलाफ है. जब वह हिरासत में थे, तो सरकार ने उनकी जमानत कराने में मदद की और अब अचानक उन्हें पूछताछ के लिए नोटिस जारी किए गए हैं और आज उनके घर पर छापेमारी की जा रही है.'' सिंह कई मुद्दों पर 'आप' सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं.

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Source: IOCL