'मुझे शर्म आनी चाहिए अगर मैं आरक्षण की मांग करूं', महाराष्ट्र में सुप्रिया सुले का बड़ा बयान
Supriya Sule on Reservation: सुप्रिया सुले ने कहा कि आरक्षण केवल उन्हीं को मिलना चाहिए जिन्हें सच में जरूरत है. उन्होंने जाति आधारित आरक्षण पर सभी दलों और समाज में खुली बहस की मांग की.

महाराष्ट्र में आरक्षण हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है और अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने इस पर ऐसा बयान दिया है. इस बयान के बाद नई राजनीतिक बहस छिड़ने की उम्मीद है. उन्होंने साफ कहा कि आरक्षण उन्हीं को मिलना चाहिए जिन्हें इसकी सचमुच जरूरत है.
सुले ने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि वे आरक्षण की हकदार नहीं हैं क्योंकि उनका परिवार शिक्षित है और उनके बच्चों को भी बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं. उनका यह बयान राज्य में चल रही आरक्षण की राजनीति को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है.
शर्म आनी चाहिए अगर मैं आरक्षण मांगूं- सुप्रिया सुले
सुले ने कहा कि आरक्षण का उद्देश्य उन लोगों को अवसर देना है जो पिछड़े वर्ग से आते हैं और जिनके माता-पिता को शिक्षा व संसाधनों का लाभ नहीं मिला. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “मेरे माता-पिता पढ़े-लिखे हैं, मैं पढ़ी-लिखी हूं, मेरे बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं. ऐसे में अगर मैं आरक्षण मांगूं तो मुझे शर्म आनी चाहिए.
यह हक उस बच्चे का है जो चंद्रपुर जैसे इलाके से है, जिसके पास मेरे बच्चे जैसी सुविधाएं नहीं हैं. इसलिए अगर वह बच्चा ज्यादा प्रतिभाशाली है तो अवसर उसे मिलना चाहिए.” उन्होंने कहा कि आरक्षण एक ऐसा संयोजन होना चाहिए जिसमें जरूरत और योग्यता दोनों को ध्यान में रखा जाए.
जाति आधारित आरक्षण पर खुली बहस हो- सुप्रिया सुले
जब उनसे पूछा गया कि जाति आधारित आरक्षण कब खत्म होगा, तो सुप्रिया सुले ने कहा कि यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. उन्होंने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से आग्रह किया है कि इस मुद्दे पर सभी दलों की बैठक बुलाई जाए. उनका कहना था कि आरक्षण जैसे मुद्दों पर खुली बहस और चर्चा होना जरूरी है. एनडीटीवी के प्रोग्राम में उन्होंने कहा कि यह चर्चा सिर्फ विधानसभा तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि कॉलेजों, समाजों और सभी सार्वजनिक मंचों पर होनी चाहिए ताकि सभी वर्गों की राय सामने आए.
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