Maharashtra: 13 साल बाद एक बार फिर सरप्राइज एंट्री! उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर मातोश्री पहुंचे राज ठाकरे
Maharashtra Politics: राज ठाकरे ने 13 साल बाद मातोश्री पहुंचकर उद्धव ठाकरे को जन्मदिन की बधाई दी. इससे पहले 5 जुलाई को दोनों भाई मराठी अस्मिता के नारे के साथ करीब 20 साल बाद एक साथ मंच शेयर किया था.

महाराष्ट्र की राजनीति में आए दिन कोई न कोई हलचल देखने को मिल रही है. आज भी ऐसा ही कुछ हुआ जब MNS प्रमुख राज ठाकरे अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे से मिलने मुंबई के बांद्रा स्थित मातोश्री निवास पहुंच गए.
खास इस लिए था क्योंकि मौका था उद्धव ठाकरे के जन्मदिन का, और इस मुलाकात को लेकर सुबह से ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म थी. खास बात यह रही कि राज ठाकरे करीब 13 साल बाद मातोश्री पहुंचे हैं. इससे पहले वे साल 2012 में अंतिम बार वहां गए थे.
Mumbai, Maharashtra: On the 65th birthday of Shiv Sena (UBT) chief Uddhav Thackeray, Maharashtra Navnirman Sena chief Raj Thackeray visited Matoshree to extend his greetings pic.twitter.com/4Jh959cWS1
— IANS (@ians_india) July 27, 2025
2006 में राज ठाकरे हुए थे शिवसेना से अलग
बता दें कि राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बनाई थी. इसके बाद से दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक और निजी मतभेद खुलकर सामने आए थे. लेकिन हालिया कुछ घटनाक्रमों ने इन दूरियों को कम करने की शुरुआत की है.
बीते दिनों महाराष्ट्र सरकार द्वारा कक्षा 5 तक हिंदी अनिवार्य किए जाने के विरोध में और मराठी अस्मिता के नारे के साथ दोनों नेता एक ही मंच पर नजर आए. 5 जुलाई, 2025 को वर्ली के एनएससीआई डोम में आयोजित "विजय रैली" में राज और उद्धव ठाकरे एक साथ दिखे, जिसने राजनीतिक समीकरणों में हलचल मचा दी. इस रैली में दोनों नेताओं ने मराठी अस्मिता को लेकर एकजुटता दिखाई और भाषणों में महाराष्ट्र की प्राथमिकता को उजागर किया.
उद्धव-राज की जोड़ी फिर एक साथ?
इस मंच पर एक साथ आने के बाद आज की मुलाकात ने अटकलों को और जोर दे दिया है कि आगामी बीएमसी चुनाव में दोनों भाई एक साथ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. बता दें कि उद्धव ठाकरे ने रैली में कहा था, "अनाज आधारित पंचायतों ने हमारे बीच की खाई को पाट दिया है, हम साथ रहने के लिए साथ आए हैं," वहीं राज ठाकरे ने जोड़ा, "महाराष्ट्र किसी भी झगड़े या विवाद से बड़ा है."
क्या भविष्य में एक साथ चुनाव लड़ेंगे?
इस सवाल का जवाब आने वाले हफ्तों में साफ हो सकता है, लेकिन आज की मुलाकात ने इतना तो साफ कर दिया है कि ठाकरे परिवार में रिश्तों की बर्फ पिघल रही है. उम्मीद कर सकते हैं कि राजनीतिक समीकरणों में यह बदलाव महाराष्ट्र की सत्ता की तस्वीर को काफी हद तक बदल सकता है.
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