Meat Ban in Maharashtra: मीट बैन पर महाराष्ट्र में बवाल, 1988 के आदेश का जिक्र करते हुए KDMC ने क्या कहा?
Meat Ban On Independence Day: कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका (KDMC) ने 15 अगस्त को चिकन-मटन बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है, जिसका व्यापारी विरोध कर रहे हैं. KDMC 1988 के आदेश का हवाला दे रही है.

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में कल्याण-डोंबिवली नगर पालिका (KDMC) ने 15 अगस्त को क्षेत्र में चिकन और मटन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. इस फैसले का हिंदू खटीक समाज और चिकन एवं मटन व्यापारी संघ ने कड़ा विरोध किया था. हालांकि, इस विरोध के बावजूद केडीएमसी अपने फैसले पर अडिग है.
केडीएमसी विरोध करने वालों को 1988 के आदेश की एक प्रति दिखा रहा है और कह रहा है कि मटन और चिकन की बिक्री पर प्रतिबंध है, न कि इसके सेवन पर. 1988 में, तत्कालीन प्रशासन ने यह आदेश जारी किया था और हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को दो राष्ट्रीय त्योहारों पर चिकन और मटन विक्रेताओं को अपनी दुकानें बंद रखने के नोटिस दिए जा रहे हैं.
'विरोध होता है तो विचार किया जाएगा'
दूसरी ओर, पिछले दो दिनों से राजनीतिक दल अपना पक्ष रख रहे हैं, जबकि मटन और चिकन विक्रेताओं और हिंदू कसाई समाज द्वारा केडीएमसी को एक ज्ञापन दिया गया है. इसपर केडीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त योगेश गोडसे ने कहा है कि अगर स्थानीय लोगों की ओर से विरोध होता है, तो इस पर विचार किया जाएगा.
केडीएमसी के किया है फैसले का विरोध
केडीएमसी के फैसले का असर पूरे राज्य में देखने को मिल रहा है. शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी के नेता आदित्य ठाकरे, राष्ट्रवादी शरद पवार गुट के जितेंद्र आव्हाड ने आक्रामक रूप से विरोध किया है.
मटन और चिकन विक्रेता संघ ने दी चेतावनी
स्थानीय स्तर पर हिंदू कसाई समाज और महाराष्ट्र राज्य मटन और चिकन विक्रेता संघ ने फैसले को वापस लेने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर फैसला वापस नहीं लिया गया तो नगर निगम के प्रवेश द्वार पर मटन और चिकन बेचा जाएगा. आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि नगर निगम के इस फैसले का विरोध होने के बावजूद नगर निगम अपने रुख पर अड़ा हुआ है.
अतिरिक्त आयुक्त गोडसे ने कहा कि मटन और चिकन की बिक्री पर प्रतिबंध है. खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. किसी को भी भ्रम पैदा नहीं करना चाहिए. यह आदेश 1988 से लागू है और यह कोई नया आदेश नहीं है. अब तक किसी ने इसका विरोध नहीं किया है. बदलती परिस्थितियों के अनुसार आदेश बदले जाते हैं. अगर कुछ लोग जिद करते हैं, तो ज्ञापन पर आयुक्त के साथ बातचीत करके फैसला लेने इस पर विचार करेंगे .
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Source: IOCL























