घाटकोपर हिरासत में मौत मामले में अदालत का बड़ा आदेश, 15 साल बाद दो पुलिसकर्मियों को सात साल की जेल
Mumbai News: मुंबई की CBI अदालत ने घाटकोपर कस्टोडियल डेथ केस में दो पुलिस अधिकारियों को सात साल की सजा और जुर्माना सुनाया. अदालत ने माना, मौत पुलिस की यातना का नतीजा थी.

मुंबई की CBI अदालत ने आज 2009 के घाटकोपर कस्टोडियल डेथ केस में दो पुलिस अधिकारियों तत्कालीन PSI संजय सुधाम खेड़ेकर और तत्कालीन हेड कॉन्स्टेबल रघुनाथ विठोबा कोलेकर को सात साल की सख्त कैद और प्रत्येक पर एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
यह मामला अल्ताफ कादिर शेख की हिरासत में मौत से जुड़ा था. आरोप था कि घाटकोपर पुलिस स्टेशन में गिरफ्तार किए जाने के बाद उसकी मौत पुलिस की यातना के कारण हुई थी.
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ मामला
CBI ने यह मामला 27 नवंबर 2009 को दर्ज किया था, बॉम्बे हाईकोर्ट के 16 अक्टूबर 2009 के आदेश और सुप्रीम कोर्ट के 23 नवंबर 2009 के निर्देशों के बाद. यह मामला स्मिता मेहरुनिसा कादिर शेख की याचिका पर शुरू हुआ था.
जांच पूरी होने के बाद CBI ने 30 दिसंबर 2010 को चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें तीन पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया था. PSI संजय सुधाम खेड़ेकर आरोपी नंबर एक, हेड कॉन्स्टेबल रघुनाथ विठोबा कोलेकर आरोपी नंबर दो और पुलिस नाईक सायाजी बापूराव थोम्बारे आरोपी नंबर तीन थे. ट्रायल के दौरान सायाजी थोम्बारे का निधन हो गया, इसलिए उनके खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया.
लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने सुनाया फैसला
लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने दोनों जीवित आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई. अदालत ने माना कि हिरासत में हुई यह मौत पुलिस की यातना का नतीजा थी, जो कानून और मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है.
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