मराठा आंदोलन को लेकर CM देवेंद्र फडणवीस का बड़ा बयान, 'कोई न कोई रास्ता...'
Devendra Fadnavis News: मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर सीएम देवेंद्र फडणवीस ने प्रतिक्रिया दी है. मनोज जरांगे पाटील OBC कैटेगरी के तहत मराठों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं.

ओबीसी कोटे में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे मुंबई के आजाद मैदान में अनशन पर बैठे हुए हैं. इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार (30 अगस्त) को इसे लेकर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सरकार संवैधानिक ढांचे के अंदर मराठा आरक्षण मुद्दे का समाधान खोजने के लिए काम कर रही है.
उन्होंने आगे कहा, ''पिछले साल मराठा समुदाय को (सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत) दिया गया 10 प्रतिशत आरक्षण अभी भी लागू है.'' CM ने ये भी कहा, ''मराठा समुदाय को शिक्षा और रोजगार प्रदान करने के लिए सबसे अधिक फैसले 2014 और 2025 के बीच लिए गए.'' यह वह अवधि है जब बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारें ज्यादातर समय सत्ता में रही हैं.
कैबिनेट सब-कमेटी मांगों पर कर रही चर्चा- फडणवीस
इससे पहले शुक्रवार (29 अगस्त) को भी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि इस मुद्दे पर कैबिनेट सब-कमेटी उनकी मांगों पर चर्चा कर रही है और संवैधानिक ढांचे के भीतर समाधान ढूंढेगी. सीएम ने मीडिया को बताया था कि मनोज जरांगे को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में सिर्फ एक दिन के लिए विरोध प्रदर्शन करने की इजाजत दी गई है, उन्होंने विरोध प्रदर्शन जारी रखने के लिए नई अनुमति मांगी है और पुलिस इस पर सकारात्मक विचार करेगी.
बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक काम- देवेंद्र फडणवीस
मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि राज्य प्रशासन बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक काम कर रहा है और उसे उसके आदेशों का पालन करना होगा. मुंबई के आजाद मैदान में हजारों की संख्या में मनोज जरांगे के समर्थक पहुंचे हुए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं. जरांगे ने शुक्रवार (29 अगस्त) से मुंबई के आजाद मैदान से अपना ताजा आंदोलन शुरू किया. इसमें महाराष्ट्र के कोने-कोने से आंदोलनकर्ता और उनके समर्थक आजाद मैदान पहुंचे हुए हैं और आरक्षण मिलने तक डटे रहने की बात कह रहे हैं.
OBC के तहत मराठों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की मांग
मराठा आंदोलन कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटील OBC कैटेगरी के तहत मराठों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि सभी मराठों को ओबीसी के तहत आने वाली कृषि प्रधान जाति कुनबी के तौर पर मान्यता मिले ताकि उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का फायदा मिल सके.
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Source: IOCL























