एमपी की आबकारी नीति में बड़ा बदलाव, एक अप्रैल से खुलेंगे नए बीयर बार, 19 शहरों में बंद होंगी दुकानें
MP New Excise Policy: नई आबकारी नीति को मंजूरी मिलने के बाद सीएम मोहन यादव ने शराब की बिक्री पर प्रतिबंध की घोषणा की थी. इस कदम से राज्य सरकार को आबकारी राजस्व में लगभग 450 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

MP New Excise Policy News: मध्य प्रदेश में पहली बार एक अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्तीय वर्ष से 'लो अल्कोहलिक बेवरेज बार' खुलेंगे, जबकि रविवार को जारी नई आबकारी नीति के तहत 17 पवित्र शहरों सहित 19 स्थानों पर शराब की बिक्री प्रतिबंधित रहेगी. इन नए बारों में केवल बीयर, वाइन और रेडी-टू-ड्रिंक मादक पेय पदार्थों की ही अनुमति होगी, जिनमें अधिकतम 10 प्रतिशत वी/वी (वॉल्यूम ऑन वॉल्यूम) अल्कोहल हो. जानकारी के अनुसार, मौजूदा समय में पूरे प्रदेश में 460 से 470 बीयर बार हैं. इन नए आउटलेट के साथ बार की कुल संख्या में बढ़ोतरी होगी.
राजभवन की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार 19 पवित्र क्षेत्र में शराबबंदी की गई है, जिसमें उज्जैन नगर निगम, ओंकारेश्वर नगर पंचायत, महेश्वर नगर पंचायत, मंडलेश्वर नगर पंचायत, ओरछा नगर पंचायत, मैहर नगर पालिका, चित्रकूट नगर पंचायत, दतिया नगर पालिका, पन्ना नगर पालिका, मंडला नगर पालिका, मुलताई नगर पालिका, मंदसौर नगर पालिका, अमरकंटक नगर पंचायत, सलकनपुर ग्राम पंचायत, बरमान कला ग्राम पंचायत, लिंगा ग्राम पंचायत, बरमान खुर्द ग्राम पंचायत, कुंडलपुर ग्राम पंचायत और बांदकपुर ग्राम पंचायत शामिल हैं.
सीएम मोहन ने किया था ये ऐलान
नई आबकारी नीति को मंजूरी मिलने के बाद 23 जनवरी को सीएम मोहन यादव ने शराब की बिक्री पर प्रतिबंध की घोषणा की थी. इस कदम से राज्य सरकार को आबकारी राजस्व में लगभग 450 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि ऐसे क्षेत्रों में बाहर से शराब लाने और इसे व्यक्तिगत रूप से पीने पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा, क्योंकि मध्य प्रदेश में निषेध कानून लागू नहीं है.
अगले वित्तीय वर्ष से मिलेगी ये सुविधा
सरकारी बयान में कहा गया है कि अगले वित्तीय वर्ष के लिए नई आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों के नवीनीकरण शुल्क में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. हालांकि, हेरिटेज शराब और वाइन उत्पादन नीति अपरिवर्तित रहेगी. हेरिटेज शराब निर्माताओं को मूल्य वर्धित कर (वैट) से मिसने वाली छूट जारी रहेगी. राज्य की अंगूर प्रसंस्करण नीति के तहत किसानों की आय बढ़ाने के लिए फल प्रसंस्करण और बागवानी विस्तार को बढ़ावा दिया जाएगा.
अंगूर और जामुन के अलावा मध्य प्रदेश में उत्पादित और एकत्र किए गए अन्य फलों और शहद से शराब उत्पादन की अनुमति दी जाएगी. राज्य में शराब उत्पादन इकाइयों को अपने परिसर में खुदरा दुकानें संचालित करने की अनुमति दी जाएगी. वाइनरी परिसर में पर्यटकों के लिए वाइन टैवर्न (वाइन चखने की सुविधा) की अनुमति दी जाएगी.
अगले वित्त वर्ष से विदेशी शराब की बोतल बनाने वाली इकाइयों को विशेष शराब बनाने, भंडारण, निर्यात, आयात और बेचने की अनुमति दी जाएगी. एक अनुमान के मुताबिक, मध्य प्रदेश में 3,600 मिश्रित शराब की दुकानें इस वित्त वर्ष में करीब 15,200 करोड़ रुपये का अनुमानित राजस्व लाएंगी.
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