MP News: मध्यप्रदेश के 528 कॉलेजों में से सिर्फ 250 में ही बने हैं स्मार्ट क्लास, इन संस्थानों की मदद से है विकसित करने की है योजना
MP News: सरकार की नई शिक्षा नीति के मुताबिक प्रदेश के आज भी कई कॉलेज मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं. हालांकि अब उन कॉलेज को कई माध्यमों से विकसित कर NAAC के मुताबिक करने की योजना पर काम चल रहा है.

MP Govt College News: नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के प्रावधानों के हिसाब से अध्यन-अध्यापन के लिए मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के आधे से ज्यादा सरकारी कॉलेज (Government College) आज भी तैयार नहीं है. प्रदेश में कुल 528 शासकीय स्नातक और स्नातकोत्तर कॉलेज है. इनमें से मात्र 250 के पास स्मार्ट क्लासरूम (Smart Classroom) है. वहीं प्रदेश में कई सरकारी कॉलेज ऐसे भी हैं, जिनके पास अपने भवन नहीं है. काल्पनिक व्यवस्था के नाम पर सालों से यह संस्थान पुराने सरकारी भवनों या फिर किराए के भवन में चल रहे हैं
नई शिक्षा नीति के हिसाब से कॉलेजों को भोपाल स्थित मुख्यालय के विकास कार्यक्रमों और छात्रों को ईपाठशाला पोर्टल से जोड़ने की व्यवस्था लचर है. ऐसे में भविष्य में छात्रों और कॉलेज को इन सुविधाओं का लाभ कैसे मिलेगा, एक्सपर्ट ने इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
नैक (NAAC) ने ग्रेडिंग यह चीजें होनी है अनिवार्य
कंप्यूटर लैब, विभिन्न विषयों के प्रायोगिक कार्य के लिए लैब और स्मार्ट रूम नैक (NAAC) की ग्रेडिंग के लिए अनिवार्य बिंदुओं में शामिल है. उच्च शिक्षा विभाग ने 2023 तक सौ से ज्यादा सरकारी कॉलेजों की नैक से ग्रेडिंग कराने की कवायद शुरू की है. इसके लिए विश्व बैंक परियोजना और राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा विभाग की मदद से विकसित करके, संस्थानों को जोड़ा जा रहा है. नए कालेजों में जनभागीदारी की मदद से स्मार्ट क्लासरूम बनाने जैसे कई महत्वपूर्ण काम करवाये जा रहे हैं.
नसरुल्लागंज शासकीय महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉ. श्याम सिंह मीणा ने बताई यह बात
सीहोर जिले में नसरुल्लागंज शासकीय महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉ. श्याम सिंह मीणा का कहना है कि, स्मार्ट क्लासरूम के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर और क्लिनिकल स्टाफ की एक कमेटी बनाई गई है. वह तय करती है कि, स्मार्ट क्लास बनाने के लिए कौन से आधुनिक संसाधन खरीदने हैं. पिछले कुछ वर्षों में जिन 250 कॉलेजों में स्मार्ट क्लासरूम बनाने की कवायद हुई है, उनमें से हर क्लास मानकों पर खरे उतरते हों और सभी सुविधाओं से युक्त हो ऐसा कहीं नहीं है. जिला मुख्यालय स्थित कुछ कॉलेजों की बात करें, तो उमने से कुछ ही क्लास स्मार्ट बन पाई हैं.
भोपाल के ओएसडी अकादमी शाखा के आयुक्त डॉक्टर धीरेंद्र शुक्ला ने बताया कि, "वर्ल्ड बैंक रूसा और जनभागीदारी की मदद से कॉलेजों में विकास और आधुनिकीकरण के लिए कार्य किए जा रहे हैं. नई शिक्षा नीति और नैक की ग्रेडिंग के लिए हो रहे प्रयासों के चलते यह काम और भी तेज हो गए हैं."
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Source: IOCL























