Dhanbad: विधायक ढुल्लू महतो के आंदोलन के कारण BCCL कंपनी का काम ठप, 300 मजदूर हुए बेरोजगार
Dhanbad: कोयला कंपनी बीसीसीएल के ब्लॉक-2 में संचालित अम्बे आउटसोर्सिंग का उत्खनन कार्य पिछले 12 दिनों से बंद पड़ा है. विधायक ढुल्लू की मांग है कि कंपनी में 75 फीसदी स्थानीय लोगों को नौकरी दी जाए.

Dhanbad News: कोयला मंत्रालय के अधीन कोयला कंपनी बीसीसीएल के ब्लॉक-2 के बेनीडीह पैच में संचालित अम्बे आउटसोर्सिंग का उत्खनन कार्य पिछले 12 दिनों से बंद पड़ा है. बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो के नेतृत्व में झारखंड सरकार द्वारा जारी गजट के आधार पर कंपनी में 75 फीसदी स्थानीय लोगों को नियोजन देने की मांग कि जा रही है. इसी को लेकर पिछले 12 दिनों से आउटसोर्सिंग का कामकाज ठप है. आउटसोर्सिंग कंपनी ने भी नो वर्क नो पे का पोस्टर लगा दिया है, जिसके कारण कंपनी में कार्यरत करीब 300 मजदूर फिलहाल बेरोजगार हो गए हैं.
क्या कहते हैं विधायक ढुल्लू महतो
एक ओर बीसीसीएल को आंदोलन के कारण हुई बंदी से करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं बीजेपी विधायक ढुल्लू महतो आंदोलन के तहत की गई इस बंदी को स्थानीय लोगों को कंपनी में 75 फीसदी नियोजन दिलाने की बात कह रहे हैं. ढुल्लू महतो का कहना है कि राज्य सरकार ने जो गजट पास किया है उसे लागू किया जाए. उन्होंने कहा कि यहां बाहरी लोगों को काम पर लगाया गया है जिन्हें हटाकर यहां के स्थानीय बेरोजगारों को नियोजन मिलना चाहिए. जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
क्या कहते हैं कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो
वहीं कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो इसे विधायक ढुल्लू महतो का हिडेन एजेंडा बता रहे हैं. जलेश्वर महतो ने कहा कि विधायक स्थानीय लोगों को बरगला कर अपना उल्लू सीधा करने की कोशिश कर रहे हैं. वह स्थानीय लोगों को आगे कर अपना हिडेन एजेंडा चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह पहले भी ऐसा कर चुके हैं लेकिन लोगों को नियोजन नहीं मिला. जब उनका कंपनी के साथ अंदरूनी समझौता हो जाता है तो सब कुछ ठीक हो जाता है.
कंपनी ने मेन गेट पर चिपकाया नो वर्क नो पे का नोटिस
पिछले 12 दिनों से स्थानीय लोग कंपनी का कामकाज ठप कर धरने पर बैठे हैं. इस आंदोलन कि वजह से कंपनी में काम कर रहे लोग फिलहाल बेरोजगार हो गए हैं. आंदोलन के कारण कंपनी ने मेन गेट नो वर्क नो पे का नोटिस चिपका दिया है. विधायक और कंपनी के बीच की इस लड़ाई में मजदूर वर्ग पिस रहा है. मजदूरों का कहना है कि आखिर हम कहां जाएंगे, हम भी स्थानीय हैं. मजदूरों को हटाकर उसकी जगह पर दूसरे मजदूरों को कार्य पर लगाना एक तरह की नाइंसाफी है. मजदूरों का कहना है कि कंपनी का नो वर्क नो पे का फरमान, हमारे पूरे परिवार के लिए रोजी रोटी पर आफत बन गई है.
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