चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल बन कर तैयार, क्या कुछ है खास?
Chenab Rail Bridge: जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बना यह पुल दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है. 1315 मीटर लंबे इस पुल की ऊंचाई 359 मीटर है.

Chenab Railway Bridge Kashmir: जम्मू कश्मीर में बनाए गए दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे ब्रिज पर अगले महीने से ट्रेनों को चलाए जाने की तैयारी की जा रही है. एफिल टावर से भी ऊंचे इस रेलवे पुल से ट्रेनों का संचालन शुरू करने के मौके पर रेलवे एक बड़ा फंक्शन आयोजित करेगा. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया जाएगा.
इस रेलवे पुल पर ट्रेनों का ट्रायल रन और सेफ्टी कमिश्नर का क्लीयरेंस कई महीने पहले ही हो चुका है. चिनाब नदी पर बनाया गया पुल न सिर्फ रेलवे के लिए बड़ी उपलब्धि है, बल्कि समूचे देश के लिए भी गर्व और गौरव का सबब रहेगा. चिनाब रेलवे ब्रिज कश्मीर घाटी की भौगोलिक चुनौतियों पर भारतीय कौशल की जीत का भी प्रतीक है.

खूबसूरती के मामले में है बेमिसाल
जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में बना यह पुल जहां एक तरफ भारतीय इंजीनियर्स के कौशल और तकनीक का बेजोड़ नमूना है. वहीं खूबसूरती के मामले में भी यह बेमिसाल है. आर्च यानी मेहराब तकनीक पर तैयार यह पुल चिनाब नदी की सतह से 359 मीटर ऊंचाई पर बनाया गया है.
इसकी ऊंचाई एफिल टावर से भी करीब पैंतीस मीटर ज्यादा है. 1486 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए इस बेमिसाल रेलवे पुल के निर्माण को मंजूरी 22 साल पहले 2003 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने दी थी.

पुल के निर्माण में भले ही 22 साल का वक्त लग गया हो, लेकिन कटरा श्रीनगर रेल रूट के शुरू होने के बाद कश्मीर घाटी अब देश के बाकी हिस्सों से रेल मार्ग से भी सीधे तौर पर जुड़ जाएगी. चिनाब ब्रिज के निर्माण के पूरा होने के साथ ही कटरा बड़गाम रेल रूट भी पूरी तरह तैयार हो चुका है.
छह लाख से ज्यादा बोल्ट का किया गया है इस्तेमाल
1315 मीटर लंबाई वाले दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे पुल की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके निर्माण में ना तो नदी से कोई छेड़छाड़ की गई है और ना ही उसमें कोई पिलर खड़ा किया किया है. नदी के दोनों किनारों पर आर्च यानी मेहराब तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. स्टील और कंक्रीट से तैयार स्कूल के निर्माण में उनतीस हज़ार मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया गया है. पुल के लिए 17 स्पैन तैयार किए गए हैं, जबकि इसमें छह लाख से ज्यादा बोल्ट लगाए गए हैं.
चिनाब रेलवे ब्रिज की लाइफ तकरीबन सवा सौ साल की होगी. तेज तूफान - भूकंप और 30 किलो विस्फोटक का इस पर कोई असर नहीं होगा. दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल पर ट्रेनें सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगी. यह पुल जहां मजबूती और तकनीक के मामले में बेमिसाल है, वहीं यह बेहद खूबसूरत भी है.
दुनिया में भारत को अलग दिलाएगा पहचान
यह जम्मू कश्मीर राज्य में पर्यटन का एक नया केंद्र भी बन सकता है, यही वजह है कि पुल को नजदीक से देखने के लिए अलग से व्यू प्वाइंट भी बनाया गया है. इसके साथ ही पुल पर रेलवे ट्रैक के अगल-बगल काफी जगह छोड़ी गई है. पुल के नजदीक एक हेलीपैड भी तैयार कराया गया है. पुल पर बने सिंगल लाइन के रेल ट्रैक से जब बादलों और बर्फबारी के बीच ट्रेनें गुजरेगी, तो चिनाब ब्रिज समूची दुनिया में भारत को अलग पहचान दिलाएगा.
ट्रेनें चलाने की सभी तैयारियां कर ली गई हैं
पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज सिंह और उत्तर रेलवे की पीआरओ निधि पांडेय का कहना है कि दुनिया के इस सबसे ऊंचे रेल ब्रिज पर ट्रेनें चलाने की सभी तैयारियां कर ली गई हैं. चिनाब रेलवे पुल पर ट्रेनों का संचालन शुरू होने के बाद कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरा भारत रेल मार्ग से भी आपस में जुड़ जाएगा.

यह देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अप्रैल महीने में चिनाब रेलवे पुल के साथ ही देश में केबल तकनीक से तैयार किए गए पहले रेल ब्रिज अंजी के साथ ही ऊधमपुर बड़गाम रेल रूट को देश को समर्पित कर सकते हैं.
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