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पर्दे के पीछे रहकर लालू यादव ने कैसे लिखी विपक्ष के 'INDIA' गठबंधन की स्क्रिप्ट?

लालू यादव संयुक्त मोर्चा की सरकार में किंगमेकर की भूमिका निभा चुके हैं. पार्टी सूत्रों का कहना है कि लालू पुराने राजनीतिक संबंधों के सहारे नए गठबंधन को कामयाब बनाने में जुटे हुए हैं.

विपक्षी एकता को लेकर 13 महीनों से जारी कवायद इस महीने के अंत तक मूर्त रूप ले लेगा. मुंबई की मीटिंग में मोदी सरकार के खिलाफ बनाए गए INDIA स्ट्रक्चर तैयार होगा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन पहले ही इसकी घोषणा कर चुके हैं. बैठक में INDIA का संयोजक चुना जाएगा, जो सर्वोच्च कार्यकारी पद होगा.

INDIA संयोजक के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम सबसे आगे है. उन्हें आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का समर्थन मिला हुआ है. INDIA गठबंधन की पूरी स्क्रिप्ट लालू यादव और नीतीश कुमार ने ही लिखी ह, कांग्रेस को तो बाद में शामिल किया गया. 

26 दलों को जोड़ने में नीतीश कुमार ने फ्रंट तो लालू यादव ने बैकडोर में अहम भूमिका निभाई. सूत्रों के मुताबिक पिछले कई ऐसे मौके आए, जब INDIA गठबंधन के टूटने की अटकलें खूब लगी, लेकिन लालू ने अपने राजनीतिक कुशलता से सबको धता बता दिया. 

INDIA की मीटिंग में भी लालू ने संकटमोचक की भूमिका निभाई. ममता पर अधीर रंजन के बयान को गलत बताया, जिसके बाद कांग्रेस ने अधीर पर सख्ती बरती. अधीर रंजन चौधरी बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. 

INDIA के लिए पर्दे के पीछे लालू का रोल अहम, 5 प्वॉइंट्स...

1. महागठबंधन बनाकर विपक्षी एकता की स्क्रिप्ट लिखी- 2022 में लालू यादव और नीतीश कुमार 5 साल बाद फिर वापस आ गए. बीजेपी को सरकार से बाहर करने के बाद नीतीश कुमार सीधे लालू यादव के सरकारी आवास पर पहुंचे. यहां तेजस्वी यादव ने उनका स्वागत किया.

नीतीश से पहली मुलाकात में लालू यादव एक ही लाइन बोले- अब कहीं मत जहिय, सब तोहरे के देखेके बा (अब कहीं नहीं जाना, सब कुछ तुम्हीं को देखना है). 

जेडीयू सूत्रों के मुताबिक बिहार में सरकार बनने के बाद नीतीश और लालू ने विपक्षी एकता की स्क्रिप्ट तैयार किया. इस काम में जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह और आरजेडी के मनोज झा ने अहम भूमिका निभाई. गठबंधन का खाका खींचने के बाद लालू यादव सिंगापुर चले गए.

अप्रैल 2023 में जब लालू इलाज कराकर वापस आए तो नीतीश उनसे मिलने फिर पहुंचे. नीतीश कुमार ने विपक्षी गठबंधन का पूरा डेवलपमेंट लालू से बताया.  रिपोर्ट्स के मुताबिक नीतीश ने कुछ दलों से सहमति नहीं बनने की बात कही. इस पर लालू ने कहा- घबराए के जरूरत नईखे, सब ठीक हो जाई (घबराने की जरूरत नहीं है, सब ठीक हो जाएगा).

2. नीतीश के साथ सोनिया गांधी से जाकर खुद मिले- बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार दिल्ली मिशन पर निकले. 5 सितंबर 2022 को दिल्ली दौरे पर आए नीतीश ने सीताराम येचुरी, एचडी कुमारस्वामी और अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की. 

नीतीश कुमार सोनिया गांधी से भी मिलना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने अध्यक्ष चुनाव का हवाला देकर इसे अक्टूबर तक के लिए टाल दिया. सोनिया से बिना मिले नीतीश के पटना आते ही सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गई.

कई खबरों में दावा किया गया कि सोनिया गांधी ने नीतीश कुमार को मिलने का वक्त नहीं दिया. इसके बाद खुद लालू सक्रिय हुए. लालू और नीतीश 25 सितंबर को सोनिया गांधी के 10 जनपथ आवास पहुंचे. यहां तीनों नेताओं की सीक्रेट मीटिंग हुई. हालांकि, मीटिंग की कोई तस्वीर बाहर नहीं आई.

मीटिंग के बाद लालू और नीतीश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. लालू ने कहा कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद सभी नेता एकजुट होंगे. 

3. नीतीश और कांग्रेस से दूरी बना रहे अखिलेश को मनाया- विपक्षी दलों को जोड़ने की कवायद में जुटे नीतीश कुमार 24 अप्रैल को लखनऊ में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मिले. अखिलेश कांग्रेस से लगातार दूरी बनाने की रणनीति अपना रहे थे. 

नीतीश कुमार और अखिलेश यादव के बीच हुई मुलाकात में तेजस्वी यादव भी मौजूद थे. सूत्रों के अनुसार दोनों नेताओं की जब मीटिंग खत्म हुई, तो तेजस्वी ने अखिलेश से कहा- पापा (लालू जी) आपसे मिलना चाहते हैं.

इस बैठक के 3 दिन बाद यानी 27 अप्रैल को अखिलेश यादव मीसा भारती के दिल्ली आवास पर पहुंच गए. यहां पहले से लालू यादव मौजूद थे. लालू और अखिलेश के बीच यहां लंबी बातचीत हुई.

4. बिहार में करीबियों पर एक्शन हुआ, तो भी चुप रहे- हाल ही में लालू यादव के करीबियों पर बिहार में नीतीश कुमार और उनकी सरकार की ओर से कार्रवाई हुई. इनमें शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर, राजस्व मंत्री आलोक मेहता और एमएलसी सुनील सिंह का नाम प्रमुख हैं.

इन नेताओं पर नीतीश के प्रकोप के बाद सभी की नजरें लालू यादव पर टिक गई कि आरजेडी सुप्रीमो कुछ बोलेंगे, लेकिन लालू ने चुप्पी साध ली. कहा जा रहा है कि लालू यादव ने बेटे तेजस्वी को भी संयमित तरीके से सरकार चलाने के लिए कहा.

जानकारों के मुताबिक 2024 तक लालू यादव किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. 

5. मीटिंग में छेड़ दी राहुल गांधी की शादी की बात- कांग्रेस के कई बड़े नेता राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बता रहे थे, जिससे विपक्षी मोर्चे के कई दल असहज महसूस कर रहे थे. पटना में पहली मीटिंग के दौरान ही लालू यादव ने राहुल गांधी की शादी की बात छेड़ दी.

लालू ने राहुल से कहा कि आप अब शादी कर लीजिए. आपकी मम्मी हम लोगों से कहती थीं कि उनकी शादी कराइए.  जानकारों के मुताबिक लालू के इस बयान के 2 सियासी मायने त्वरित तौर पर निकले.

  • लालू यादव अभी भी गांधी परिवार के लिए खास और शुभचिंतक हैं. वो सार्वजनिक मंच पर भी राहुल से शादी के लिए कह सकते हैं. 
  • राहुल गांधी को शादी का दुल्हा बताकर बीजेपी के नेता कौन वाले सवाल को डायवर्ट कर दिया. बीजेपी गठबंधन के नेता को लेकर लगातार सवाल पूछ रही थी.

लालू पर्दे के पीछे सक्रिय क्यों, 2 वजहें...

1. बीमार होने की वजह से ज्यादा दौरा नहीं कर सकते- लालू यादव कई सालों से बीमार चल रहे हैं. दिसंबर 2022 में सिंगापुर में उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ. इसके बाद से ही डॉक्टर उन्हें बेड रेस्ट करने के लिए कहा है. लालू को रात के वक्त में यात्रा नहीं करने की सलाह भी मिली है.

स्वास्थ्य खराब होने की वजह से ही लालू अपने घर से ही राजनीतिक काम को निपटा रहे हैं. 

2. जमानत का मसला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में- अप्रैल 2022 में झारखंड हाईकोर्ट ने लालू यादव को आधी सजा पूरी कर लेने और स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दी थी. उन्हें चारा घोटाला में दोषी ठहराया गया था. 

सीबीआई ने लालू के जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है और इस मामले में कोर्ट ने आरजेडी सुप्रीमो को नोटिस भी जारी किया था. कहा जा रहा है कि अगर लालू राजनीतिक तौर पर एक्टिव होंगे, तो उनकी जमानत खारिज हो सकती है.

लालू ही सूत्रधार, नीतीश केवल चेहरा हैं
लालू यादव हाल ही में खुद को फिट बता चुके हैं और बीजेपी को फिट करने की बात कह चुके हैं. ऐसे में लालू की विपक्षी मोर्चे में क्या भूमिका होगी? इस सवाल पर बिहार के वरिष्ठ पत्रकार बीरेंद्र यादव कहते हैं- लालू यादव ही INDIA गठबंधन के सूत्रधार हैं और गठबंधन में सोनिया गांधी के बाद सबसे मजबूत नेता भी. 

बीरेंद्र यादव के मुताबिक नीतीश कुमार बाहर से चेहरा हैं और सारा काम लालू यादव ही कर रहे हैं. गठबंधन में जो मुद्दे तय हो रहे हैं, उस पर लालू यादव की छाप साफ देखी जा रही है. चाहे जातीय जनगणना का विषय हो, चाहे अन्य विषय.

बीरेंद्र यादव आगे कहते हैं- लालू गठबंधन को मजबूत करने के लिए पुराने राजनीतिक संबंधों का भी बखूबी उपयोग कर रहे हैं. सोनिया गांधी का जब बीजेपी ने विदेशी कहकर विरोध किया था, तो उस वक्त लालू ने खुलकर समर्थन किया था और उन्हें देश की बहु बताया था. कांग्रेस यह जानती है.

लालू स्वस्थ्य भी हो चुके हैं, तो ऐसे में यह मान लीजिए कि आने वाले दिनों में बड़ी भूमिका में भी दिख सकते हैं. 

जानकारों का कहना है कि लालू की भूमिका गठबंधन में भले बाहर से कुछ भी हो, लेकिन पर्दे के पीछे किंगमेकर की ही रहेगी. लालू टिकट बंटवारे के विवाद समेत सभी विवाद भी पहले की तरह ही खुद सुलझाएंगे, क्योंकि लालू के पास इसका पुराना अनुभव है.

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