डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का बड़ा दावा, 'स्विट्जरलैंड की तर्ज पर पर्यटन हब बनेगा हिमाचल'
Himachal Ropeway: हिमाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि राज्य में पर्यटन और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए रोप-वे परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं.

हिमाचल के उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर रोप-वे परियोजनाएं शुरू की गई हैं. इन परियोजनाओं से धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ परिवहन के वैकल्पिक साधन उपलब्ध होंगे. इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे.
उन्होंने बताया कि शिमला में 13.79 किलोमीटर लम्बी रोप-वे परियोजना को अंतिम स्वीकृति मिल चुकी है. लगभग 1734.70 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हो रही इस परियोजना को आगामी चार वर्षों के भीतर पूरा करने का प्रयास किया जाएगा. इसमें 3 लाइनें, 14 सेक्शन और 13 स्टेशन होंगे. सचिवालय, अस्पताल, स्कूल, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड को इस नेटवर्क से जोड़ा जाएगा.
सभी परियोजनाएं जून, 2027 तक की जाएगी पूरी
उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शिमला में 50 करोड़ रुपये की लागत से 19 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट और 25 करोड़ रुपये की लागत से 3 प्रोजेक्ट दिसंबर 2026 तक पूरे किए जाएंगे. उप-मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के दृष्टिगत तीन महत्वाकांक्षी रोप-वे परियोजनाएं निर्मित की जा रही हैं. प्रदेश में 65 करोड़ रुपये की लागत से बाबा बालकनाथ मंदिर रोप-वे, 278.62 करोड़ रुपये की लागत से बिजली महादेव रोपवे और 76.50 करोड़ रुपये की लागत से माता चिंतपूर्णी मंदिर रोपवे परियोजना निर्मित की जा रही हैं. ये सभी परियोजनाएं जून, 2027 तक पूरी की जाएगी.
69 हजार यात्री उठा चुके हैं लाभ
उन्होंने बताया कि ग्रामीण कनेक्टिविटी की पहल को साकार करते हुए देश का पहला रोप-वे (बगलामुखी रोपवे) दिसंबर, 2024 में शुरू किया गया. 53.89 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस रोप-वे से अब तक लगभग 69 हजार यात्री लाभ उठा चुके हैं. आपदा के समय यह रोप-वे स्थानीय लोगों और राहत कार्यों के लिए जीवन रेखा साबित हुआ.
'मील पत्थर साबित होगी यह परियोजना'
उप-मुख्यमंत्री ने बताया कि पर्यटन कनेक्टिविटी की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए कुल्लू के ढालपुर से पीज रोप-वे का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है. 1.20 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट पर 80 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगेे और इसे जून 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. उप-मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार ने सड़कों पर वाहनों के अतिरिक्त दबाव को कम करने के लिए शिमला को परवाणु से रोप-वे परियोजना के तहत जोड़ने की योजना बनाई है. इस 38 कि.मी लम्बी परियोजना की अनुमानित लागत 5602.56 करोड़ रुपये है. इस परियोजना को पब्लिक प्राइवेट मोड पर पूरा करने की योजना है. पूरे देशभर में रोप-वे परियोजना को वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट की तर्ज पर लाने में यह परियोजना मील पत्थर साबित होगी.
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल में बनने वाली ये रोप-वे परियोजनाएं यातायात जाम की समस्या को दूर करेंगी, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाएंगी और आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल परिवहन का विकल्प प्रदान करेंगी. उन्होंने विश्वास जताया कि इन परियोजनाओं से हिमाचल को स्विट्जरलैंड की तर्ज पर पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जाएगा और युवाओं के लिए रोजगार के हजारों अवसर पैदा होंगे.
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