हरियाणा में धान की सरकारी खरीद शुरू, लेकिन किसान निराश, जानें क्या है वजह?
Panipat News: किसानों का कहना है कि इस बार एमएसपी पर कोई खरीद नहीं हो रही है. उन्हें मजबूरन 1509 रुपये प्रति क्विंटल की दर से फसल बेचनी पड़ रही है, जो कि बहुत कम है.

हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश की अनाज मंडियों में धान की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पानीपत अनाज मंडी में भी धान की खरीद औपचारिक रूप से शुरू हो गई है, लेकिन पहले दिन केवल एक किसान ही धान बेचने पहुंचा. दरअसल, मंडी में व्यवस्थाएं तो दुरुस्त बताई जा रही हैं, मगर किसानों का कहना है कि हालात निराशाजनक बने हुए हैं.
आशा मार्केट कमेटी सचिव ने बताया कि सरकार के आदेश के मुताबिक आठ दिन पहले ही धान खरीद शुरू करने के निर्देश दिए गए थे. मंडी में किसानों के लिए बिजली, पानी, सफाई और अटल कैंटीन जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं. उन्होंने कहा कि पानीपत में खरीद एजेंसी हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन (HWC) है और बारदाना पर्याप्त मात्रा में मौजूद है. पिछले साल लगभग 50,000 क्विंटल धान की खरीद सुचारू रूप से हुई थी. इस साल भी उसी स्तर पर तैयारी की गई है.
मौसम और उपज का असर
मंडी सचिव ने माना कि बारिश और मौसम की खराबी की वजह से उपज पिछले साल की तुलना में कम हो सकती है. किसानों और आढ़तियों से मिली जानकारी के अनुसार, जहां पिछले साल प्रति एकड़ लगभग 70 मन धान मिला था, वहीं इस बार 50 मन भी मुश्किल से मिल पा रहा है. साथ ही, फसल पर रोग और कीट लगने के कारण किसानों को प्रति एकड़ 10,000 से 15,000 रुपये तक अतिरिक्त खर्च करना पड़ा है.
MSP और कम कीमत का मुद्दा
आढ़ती व किसानों का सबसे बड़ा आरोप यह है कि इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कोई खरीद नहीं हो रही है. उन्हें मजबूरन 1509 रुपये प्रति क्विंटल की दर से फसल बेचनी पड़ रही है, जिसे वे बेहद कम मान रहे हैं. किसानों का कहना है कि इतनी कम कीमत पर लागत भी मुश्किल से निकल पा रही है.
खरीद एजेंसियों की अनुपस्थिति
किसानों ने यह भी शिकायत की है कि खरीद के पहले दिन मंडी में कोई सरकारी एजेंसी मौजूद नहीं थी. मार्केट कमेटी केवल माल का रिकॉर्ड रख रही है और एजेंसियों को बुलाने का काम कर रही है, लेकिन खरीददारों की अनुपस्थिति से किसान परेशान हैं.
मंडी व्यवस्था पर सवाल
कई किसानों ने बारदाना की कमी और खरीद प्रक्रिया की धीमी रफ्तार पर भी नाराजगी जताई. उनका कहना है कि सरकार जानबूझकर किसानों को परेशान कर रही है और नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL






















