(Source: ECI / CVoter)
Jain Community: जैन समुदाय ने शत्रुंजय पहाड़ियों को अपवित्र करने के खिलाफ की कार्रवाई की मांग, विरोध में निकाली रैली
Bhavnagar News: भावनगर में पवित्र शत्रुंजय पहाड़ियों को अपवित्र करने का मुद्दा गरमा गया है. समुदाय के लोगों ने इसके खिलाफ एक रैली निकाली है और असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
Jain Community Protest: गुजरात के भावनगर जिले में पवित्र शत्रुंजय पहाड़ियों को कथित तौर पर अपवित्र करने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर जैन समुदाय के सैकड़ों सदस्यों ने रविवार को अहमदाबाद में एक रैली निकाली. समुदाय के धार्मिक प्रमुखों के नेतृत्व में, सैकड़ों लोग रैली में शामिल हुए और तीन किलोमीटर पैदल चलकर अवैध खनन गतिविधियों, शराब के अड्डों और पहाड़ियों पर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. समुद्र तल से लगभग 164 फुट ऊपर शत्रुंजय नदी के तट पर स्थित, पालीताना शहर के निकट इस शत्रुंजय पहाड़ी पर 865 जैन मंदिर स्थित है और श्वेतांबर जैनियों के लिए एक पवित्र स्थान है.
अहमदाबाद में जैन ट्रस्ट के सचिव बोले
अहमदाबाद में एक जैन ट्रस्ट के सचिव ने कहा कि पिछले साल 26 नवंबर को एक मंदिर में एक जैन संत की ‘‘चरण पादुका’’ में कथित तौर पर तोड़फोड़ किये जाने के बाद से समुदाय के सदस्यों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में 85 से अधिक रैलियां निकाली हैं. उन्होंने कहा कि समुदाय ने जिलाधिकारी कार्यालय में मांगों की सूची के साथ एक ज्ञापन भी सौंपा. अहमदाबाद शहर के समग्र जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक तपगछ श्री महासंघ के सचिव प्रणव शाह ने कहा कि सभी मांगें अवैध गतिविधियों से संबंधित हैं और राज्य सरकार को उनसे निपटने में कठिनाई नहीं होनी चाहिए.
अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई की मांग
उन्होंने कहा कि समुदाय पहाड़ियों पर अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है. शाह ने कहा कि सड़कों के किनारे लगे ठेले और दुकानों को भी हटा दिया जाना चाहिए और इलाके में बने नकली शराब के अड्डों को बंद करने की जरूरत है. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पहाड़ियों में खनन और जमीन हड़पने जैसी सभी अवैध गतिविधियों को रोका जाना चाहिए और अवैध निर्माण को हटाने के लिए पहाड़ियों की मैपिंग की जानी चाहिए - ये हमारी मुख्य मांगें हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने प्रशासन के सहयोग से पालीताना और आसपास के क्षेत्रों के विकास का एक खाका तैयार किया है. पूरे भारत का जैन समुदाय इस दिशा में काम कर सकता है.’’
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