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Surguja News: श्याम घुनघुट्टा परियोजना से प्रभावित लोग क्यों दे रहे हैं धरना,प्रशासन पर यह आरोप लगा रहे हैं किसान
Farmer Protest: श्याम घुनघुट्टा परियोजना के निर्माण के समय ग्रामीणों को जिला प्रशासन ने मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी का वादा किया था. लेकिन आज तक 68 ग्रामीणों को यह लाभ नहीं मिला है.
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Surguja News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में तीन दशक पहले श्याम घुनघुट्टा परियोजना (घुनघुट्टा डैम) का निर्माण कराया गया. उस दौरान जल संसाधन विभाग की ओर से डैम के लिए कुछ ग्रामीणों का जमीन अधिग्रहण किया गया था.इसके बदले उन्हें विस्थापन के तहत नई जमीन उपलब्ध कराने की बात कही गई थी, लेकिन आज तक 68 ग्रामीण अपने जमीन के मालिकाना हक के लिए कई सालों से जद्दोजहद कर रहे हैं.वहीं इस मसले पर जिला प्रशासन की बेरुखी ने सैकड़ों ग्रामीणों को कड़कड़ाती ठंड में आसमान के नीचे बैठकर धरना प्रदर्शन करने पर मजबूर कर दिया है.
क्या है पूरा विवाद
दरअसल, श्याम घुनघुट्टा परियोजना के निर्माण के समय ग्राम सखौली (नवापारा) सहित दो से तीन गांव के सैकड़ों ग्रामीणों को जिला प्रशासन के द्वारा 1991 में विस्थान, मुआवजा सहित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की बात कही गई थी. लेकिन आज तक 68 ग्रामीणों को नौकरी और जिला प्रशासन द्वारा दिए गए जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया गया है. इसकी वजह से ग्रामीण तंबू लगाकर पिछले एक सप्ताह से अपनी मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं और प्रशासन से अपनी मांगों को जल्द पूरा करने की गुहार लगा रहे हैं.
इधर जिम्मेदार अधिकारी भी मान रहे हैं कि इन ग्रामीणों को 1990 से 1991 के बीच पट्टे का वितरण तो किया गया है.लेकिन दूसरे की निजी भूमि का पट्टा जारी किया गया है.जिसकी जांच जल संसाधन विभाग से पूछकर की जा रही है.अधिकारियों ने जल्द जमीन के रिकॉर्ड दुरुस्त करने की बात कही है.
क्या कहना है प्रभावित किसानों का
घुनघुट्टा श्याम परियोजना से प्रभावित ग्रामीण शिव कुमार दुबे ने बताया कि हमें जिस जमीन का पट्टा दिया गया है, वो हमें नहीं मिला है. उसमें कोई दूसरे आदमी कमा रहे है.ये जमीन हमें पुनर्वास स्कीम के तहत विस्थापित परिवारों को घर बनाने के लिए मिला था. शासन प्रशासन से मांग है कि इसका फैसला जल्द करें. अगर जमीन हमारा है तो हमें दें, और किसी और का है किसी और को दें.
वहीं एक दूसरे ग्रामीण रामभजन ने बताया कि शासन द्वारा घुनघुट्टा श्याम परियोजना में विस्थापित परिवारों का यहां मकान बनाने का वादा किए थे, लाइट व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा देने की बात कही गई थी, जो आज तक नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि 1990-91 में घुनघुट्टा डैम का निर्माण किया गया था. तब उस समय फसल के मुआवजा का भुगतान किया गया था.किसी किसी का भुगतान भी नहीं हो पाया. इसके लिए हम 6-7 साल से लड़ रहे हैं. शासन से मांग है कि हमारी जमीन वापस करें या मुआवजा का भुगतान करें.जब तक हमारा फैसला नहीं होगा तब तक अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे रहेंगे.
एक और प्रभावित ग्रामीण सुशील ने बताया कि यहां शासन द्वारा हमे जमीन दिया गया था. लेकिन उक्त जमीन का हमारे पास भी पट्टा है,दूसरे के पास भी पट्टा है. ऐसे में शासन से यही सवाल है कि किसी दूसरे की जमीन हमें क्यों दी गई.
क्या कह रहे हैं प्रशासनिक अधिकारी
इस संबंध ने अंबिकापुर के एसडीएम प्रदीप कुमार साहू ने बताया कि जो किसान आंदोलन, धरना प्रदर्शन में बैठे हुए हैं. उनके द्वारा कुछ पट्टे दिखाए जा रहे हैं. पट्टे के रिकॉर्ड से पुष्टि भी हो रही है कि पट्टा जारी हुआ है.लेकिन वो पट्टा निजी भूमि पर जारी हुआ है.जल संसाधन विभाग की ओर से बताया जाता है कि उसका अधिग्रहण किया गया था.इसके दस्तावेजों को खोजने का प्रयास कर रहे है.जिससे ये पुष्टि हो जाए कि उसका अधिग्रहण हुआ था. फिर इस मामले का निराकरण कर लिया जाएगा.
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