'नीतीश कुमार ने मुरेठा निकलवा दिया लेकिन…', तेजस्वी यादव ने सदन में जलाई सम्राट चौधरी की 'बत्ती'
Tejashwi Yadav: तेजस्वी यादव ने कहा कि साक्षरता दर में बिहार 1961 में फिसड्डी था. आज 2025 में भी देश में सबसे कम साक्षरता दर बिहार में ही है. यानी पहले भी फिसड्डी था और आज भी देश में कम है.

Tejashwi Yadav: बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सोमवार (24 मार्च, 2025) को सदन में तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की खूब खिंचाई की. तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मुरेठा तो निकलवा दिया लेकिन फिर भी इनके (सम्राट चौधरी) दिमाग की बत्ती नहीं जली. जिम्मेदारी होने के बाद हमको लगता था कि दिमाग की बत्ती जागेगी, लेकिन फिर भी ये स्थिति है.
तेजस्वी यादव ने कहा, "सम्राट चौधरी बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं. राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा करते वक्त हमने जब आंकड़े रखे थे तो सम्राट चौधरी जी ने सरकार की ओर से जवाब दिया था. तो हमको नहीं लगता है कि हमारी बात और डेटा जो है इनको समझ में आई होगी. सम्राट चौधरी जी साक्षरता दर की बात कर रहे थे. आज बिहार का स्कूल ड्रॉप आउट रेट 41 परसेंट है, लेकिन यह कुछ और ही बोले जा रहे थे. इनका जवाब हम लोगों ने देखा. साक्षरता दर में बिहार 1961 में फिसड्डी था. आज 2025 में भी देश में सबसे कम साक्षरता दर बिहार में ही है. यानी पहले भी फिसड्डी था और आज भी देश में कम है."
लौंडा नाच को लेकर भी तेजस्वी यादव ने घेरा
सदन में अपनी बात रखते हुए आगे तेजस्वी यादव ने कहा, "1961 में भी बिहार की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे कम थी. 2025 में भी सबसे कम है. जब राज्यपाल का अभिभाषण हो रहा था तो ये (सम्राट) लौंडा नाच का जिक्र कर रहे थे. ये उस समय उसी कैटेगरी में शामिल थे… ताली पीटने में, लौंडा नाच बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है. भिखारी ठाकुर हम लोगों के धरोहर हैं. उसका ये लोग मखौल उड़ा रहे थे. भिखारी ठाकुर को कौन नहीं जानता है? शेक्सपियर ऑफ भोजपुरी कहा जाता है."
मुरैठा मैन सम्राट चौधरी का मुरैठा तो खुल गया पर अक्ल की गांठें नहीं खुलीं!
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) March 24, 2025
राज्य के आंकड़े और @yadavtejashwi जी की बात भी नहीं समझ पाए सम्राट चौधरी!#RJD #Bihar pic.twitter.com/NxwSPVM7nk
सम्राट चौधरी को घेरते हुए तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि ऐसे उपमुख्यमंत्री जो बाप-बेटी के रिश्ते के बारे में असभ्य और टुच्च तरीके से बोलते हों, हमारी बहन (रोहिणी आचार्य) जिसने किडनी दी उसके बारे में क्या कहा गया कि टिकट के लिए किडनी दी. इस तरह की छोटी सोच की मानसिकता से क्या उम्मीद की जा सकती है?
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Source: IOCL
























