CM नीतीश को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने की चर्चा पर सुशील मोदी का आया रिएक्शन, पढ़ें क्या कहा
सुशील मोदी ने कहा, " ये क्षेत्रीय दल कांग्रेस को छोड़ कर फ्रंट बनाना चाहते हैं, जबकि इनमें से अधिकतर कांग्रेस से निकले हैं और परिवारवादी हैं. ऐसे लोग किसी का नाम किसी बड़े पद के लिए उछाल सकते हैं."

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को विपक्ष की पार्टियों द्वारा राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के कयासों ने सूबे में नए विवाद को जन्म दे दिया है. राज्य में विभिन्न पार्टियों के नेता इस संबंध में प्रतिक्रिया दे रहे हैं. इसी क्रम में बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी (Sushil Modi) ने पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. साथ ही साथ विपक्ष को फटकार भी लगाई है.
कमजोर सरकारों का हस्र देख चुकी है जनता
उन्होंने कहा, " ममता बनर्जी, चंद्रशेखर राव, उद्धव ठाकरे जैसे मुख्यमंत्रियों का प्रभाव केवल संबंधित राज्यों तक है, लेकिन ऐसे जिन लोगों की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा अचानक जगती है, वे कोई फ्रंट बनाने निकल पड़ते हैं. देश की जनता वीपी सिंह, चंद्रशेखर, देवगौड़ा, गुजराल तक विपक्षी फ्रंट की कई कमजोर सरकारों का हस्र देख चुकी है और उन्हें सिरे से नकार चुकी है."
ऐसे फ्रंट की कमजोर सरकारें नकारात्मकता से भरी होती हैं, इसलिए विकास और स्थिरता में बाधक ही साबित होती हैं।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) February 22, 2022
बीजेपी नेता ने कहा, " आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में है और विदेशी मुद्रा भंडार में रिकॉर्ड वृद्धि हुई. दूसरी तरफ वह दिन याद है, जब चंद्रशेखर सरकार के समय देश को सोना लंदन में गिरवी रखना पड़ा था. ऐसे फ्रंट की कमजोर सरकारें नकारात्मकता से भरी होती हैं, इसलिए विकास और स्थिरता में बाधक ही साबित होती हैं."
विडम्बना यह कि ये क्षेत्रीय दल कांग्रेस को छोड़ कर फ्रंट बनाना चाहते हैं, जबकि इनमें से अधिकतर कांग्रेस से निकले हैं और उसी की तरह परिवारवादी हैं।
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) February 22, 2022
ऐसे जिन लोगों का कोई राष्ट्रीय जनाधार नहीं है, वे किसी का नाम किसी बड़े पद के लिए उछाल सकते हैं।
कांग्रेस को छोड़ कर बनाना चाहते हैं फ्रंट
राज्यसभा सांसद ने कहा, " ममता बनर्जी यदि तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव ,केसीआर और उद्धव ठाकरे से हाथ मिला कर प्रधानमंत्री मोदी के लोकप्रिय नेतृत्व, केंद्र की मजबूत सरकार और समर्पित काडर वाली भाजपा को चुनौती देना चाहती हैं, तो वे कभी कामयाब नहीं होंगी. विडम्बना यह कि ये क्षेत्रीय दल कांग्रेस को छोड़ कर फ्रंट बनाना चाहते हैं, जबकि इनमें से अधिकतर कांग्रेस से निकले हैं और उसी की तरह परिवारवादी हैं. ऐसे जिन लोगों का कोई राष्ट्रीय जनाधार नहीं है, वे किसी का नाम किसी बड़े पद के लिए उछाल सकते हैं."
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