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संपूर्ण क्रांति के नायक जेपी की 118वीं जयंती पर पढ़ें- किस तरह उन्होंने बदली थी देश की राजनीतिक दिशा

बिहार-यूपी की राजनीति के कद्दावर नेता जैसे- लालू यादव, नीतीश कुमार, मुलायम सिंह यादव, रामविलास पासवान, जॉर्ज फर्नान्डिस, सुशील कुमार मोदी जैसे तमाम नेता जेपी के शागिर्द माने जाते हैं.

छपरा: सम्पूर्ण क्रांति नायक जय प्रकाश नारायण यानी जेपी की आज 118वीं जयंती है. उनके जंयती पर राज्य भर में अलग-अलग कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. सभी जननायक जेपी को उनके जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. बता दें कि 11 अक्टूबर, 1902 में छपरा के रिविलगंज प्रखंड के सिताबदियारा में जेपी का जन्म हुआ था, जिन्होंने देश की राजनीति को पूरी तरह से बदल कर रख दिया. साथ ही उसे एक नई दिशा प्रदान की.

जेपी युग के एक महान पुरुष और राजनितिक विचारक थे, जिनका पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित था. बिना किसी शासकीय पद पर आसीन हुए हृदय से क्रांतिकारी जेपी जी का पूरा जीवन सामाजिक हित में बीता. समाजवाद और सर्वोदय के प्रबल समर्थक होने के साथ-साथ उनकी संसदीय प्रजातंत्र में पूरी निष्ठा थी.

जेपी का जन्म 11 अकटूबर, 1902 को छपरा के रिविलगंज प्रखंड के सिताबदियारा के लाला टोला में हुआ था. बचपन में ही उनके गावं में नदी में हुए कटाव के कारण वे उत्तरप्रदेश के क्षेत्र में जा बसे. आज वह जगह जयप्रकाश नगर के नाम से जाना जाता है. वहां आज भी उनकी यादों को समेटे कई लोग मिल जाते हैं. बता दें कि जेपी परिवार के साथ-साथ अपने दोस्तों और सहयोगियों के प्रति आत्मीय सम्बन्ध रखने वाले असाधारण नेता थे.

बिहार-यूपी की राजनीति के कद्दावर नेता जैसे- लालू यादव, नीतीश कुमार, मुलायम सिंह यादव, राम विलास पासवान, जॉर्ज फर्नान्डिस, सुशील कुमार मोदी जैसे तमाम नेता जेपी के शागिर्द माने जाते हैं.

बता दें कि 1929 में अमेरिका से पढ़ाई कर लौटने के बाद जेपी पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के संपर्क में आए और 1932 में देश के अलग-अलग हिस्सों में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब कांग्रेस के सभी बड़े नेता जेल में थे, उस वक्त जयप्रकाश नारायण हजारीबाग की सेंट्रल जेल से फरार हो गए और आंदोलन का नेतृत्व किया. आजादी मिलने के बाद जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना की, लेकिन 1957 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया.

लेकिन कांग्रेस की राज में जब युवाओं और छात्रों में तत्कालीन इंदिरा सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ा तो जयप्रकाश नारायण फिर से सक्रिय हो गए और 1974 में किसानों के बिहार आंदोलन में उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार से इस्तीफे की मांग की. वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के भी खिलाफ थे. ऐसे में उन्होंने 5 जून को संपूर्ण क्रांति की घोषणा की. संपूर्ण क्रांति को लेकर जो आंदोलन चला, उसमें बिहार से बड़ी संख्या में नौजवानों ने हिस्सा लिया.

इस आंदोलन के बाद इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी की घोषणा कर दी. इमरजेंसी हटाने के बाद इंदिरा गांधी ने चुनाव करवाने का फैसला किया, उनको उम्मीद थी कि वो जीतकर फिर शासन में आ जाएंगी, इसलिए सभी नेताओं को जेल से रिहा कर दिया गया. लेकिन उनका दांव उल्टा पड़ गया क्योंकि, जेपी की लहर में इंदिरा और संजय सरकार बनाना तो वेओ दूर खुद की सीट भी नहीं बचा पाए थे.

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