वक्फ संशोधन विधेयक पर सवाल… बिहार में बवाल! समर्थन में PK-तेजस्वी, चुनाव में NDA के लिए खतरा?
Waqf Amendment Bill: इसी साल अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में करीब 18 फीसद मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए विपक्ष चूकना नहीं चाहता है.

Bihar Politics: वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. बिहार में भी जमकर सियासत हो रही है. अभी बीते बुधवार (26 मार्च, 2025) को ही गर्दनीबाग में तमाम बड़े मुस्लिम संगठनों ने धरना दिया. इसमें लालू और तेजस्वी भी पहुंचे. प्रशांत किशोर भी पहुंचे. दूसरी ओर इसको लेकर सदन में भी विपक्ष ने हंगामा किया. इस बिल के विरोध में हैं. सवाल है कि बिहार में चुनाव है तो उससे पहले इस तरह के मुद्दों से क्या असर होगा?
दरअसल इसी साल अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में करीब 18 फीसद मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए विपक्ष चूकना नहीं चाहता है. आरजेडी का तो शुरू से मुस्लिम-यादव का समीकरण रहा है. इस बीच प्रशांत किशोर भी मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी करने में जुट गए हैं. चुनाव में 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारने का ऐलान कर चुके हैं. इसका फायदा उपचुनाव में जन सुराज पार्टी को मिला भी था.
बिहार में हंगामा इसलिए क्योंकि चुनाव है…
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बिहार में हो रहे विरोध पर राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडेय ने कहा, "वक्फ संशोधन विधेयक अभी लोकसभा में लाया नहीं गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही कहा है कि अभी तो बिल आने दीजिए, लेकिन उसके पहले ही यह हंगामा हो रहा है क्योंकि इसी वर्ष बिहार विधानसभा का चुनाव है."
अरुण कुमार पांडेय कहते हैं कि विपक्ष मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा. क्योंकि 18% एक बड़ी आबादी मुस्लिम की है. आरजेडी शुरू दौर से ही मुस्लिम वोटरों पर कब्जा जमाते आई है. हालांकि नीतीश कुमार को भी मुस्लिम वर्गों का वोट मिलता रहा है. इस बार मुस्लिम एकजुट हो चुके हैं और नीतीश कुमार के खिलाफ है. हाल ही में सीएम आवास में आयोजित इफ्तार पार्टी में कई मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया था, तो इसका असर चुनाव में भी दिखेगा.
2020 में भी मुस्लिम समुदाय ने नीतीश कुमार का साथ नहीं दिया था. जेडीयू से 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे गए थे, लेकिन एक भी जीते नहीं थे. बहुजन समाज पार्टी से जीते जमा खान जेडीयू में शामिल हुए तो उन्हें अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाया गया.
अभी विधानसभा में हैं 19 मुस्लिम विधायक
243 सीटों वाले बिहार विधानसभा में 19 विधायक मुस्लिम हैं. उधर प्रशांत किशोर ने कहा है कि जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी के हिसाब से उनकी पार्टी से 40 उम्मीदवार मुस्लिम वर्ग से होंगे. अरुण पांडेय कहते हैं कि चार सीटों पर हुए उपचुनाव में तो प्रशांत किशोर एक भी सीट नहीं जीते थे, लेकिन मुस्लिम वोटरों को साधने में सफल हुए थे. हालांकि उपचुनाव और मुख्य चुनाव में अंतर होता है. मुस्लिम वोटर जीतने वाले को ही अपना वोट देना उचित मानते हैं. ऐसे में प्रशांत किशोर को कितना फायदा होगा यह समय की बात होगी.
किसे होगा फायदा?
आरजेडी को फायदा होगा या प्रशांत किशोर को? इस पर अरुण पांडेय ने कहा कि इसमें सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को दिख रहा है. बीजेपी की जो मुहिम है कि हिंदू को एकजुट करो, उसमें यह कामयाब होगी. क्योंकि अब खुलेआम मुस्लिम वर्ग एकजुट होकर नीतीश सरकार का विरोध करने लगा है. ऐसे में हिंदू को एकजुट करने के लिए बीजेपी खुलेआम इसका आग्रह करेगी और इसका फायदा निश्चित तौर पर मिल सकता है. मुस्लिम वोट लेने में विपक्ष भले कामयाब होगा, लेकिन इससे हिंदू वोटरों का नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ सकता है. इसकी तैयारी पहले से वह कर रही है.
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