Bihar Caste Survey: जातीय सर्वे को लेकर केंद्रीय मंत्री पशुपति ने महागठबंधन को घेरा, पासवान जाति के आकड़े पर उठाए सवाल
Pashupati Paras Statement: पटना के डाक बंगला चौराहे पर मां दुर्गा की आराधना करने केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस अपने भतीजे सांसद प्रिंस राज के साथ पहुंचे. इस दौरान उन्होंने सीएम पर हमला बोला.

पटना: पूरे देश में रविवार को महाष्टमी के मौके पर लोगों ने मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar), लालू यादव (Lalu Yadav) सहित कई बड़े और छोटे नेता भी माता का दर्शन करने पूजा पंडाल में जा रहे हैं. उसी कड़ी में पटना के डाक बंगला चौराहे पर मां दुर्गा की आराधना करने केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस अपने भतीजे सांसद प्रिंस राज के साथ पहुंचे. इस दौरान मीडिया से बात करते हुए मंत्री पशुपति पारस ने जातीय गणना को लेकर सीएम नीतीश पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार ने जो सर्वे कराया है. वह सर्वे पूरी तरह से गलत है. सचिवालय और घर में बैठकर सर्वे किया गया है. उन्होंने कहा कि खास करके हमारी जाति, जिस जाति से मैं आता हूं. पासवान समाज की 10 वर्ष पहले 7% आबादी थी, उसे अपने घर में बैठकर 5.31% करने का काम किया गया हैं क्योंकि पासवान समाज के लोग महागठबंधन को वोट नहीं देते हैं इसलिए संख्या कम बताई है.
मेरे पंचायत में भी गणना करने के लिए कोई नहीं पहुंचा- पशुपति पारस
पशुपति पारस ने बिहार सरकार से मांग की है कि सर्वे के हिसाब से फिर से ठीक कर सही संख्या बताया जाए. केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि मेरे घर को छोड़ दीजिए, मेरे पंचायत में भी गणना करने के लिए कोई नहीं पहुंचा था. चाहे पटना हो या मेरा पैतृक गांव खजुर बन्ना, सभी लोगों ने कहा कि गणना करने के लिए कोई नहीं पहुंचा है. अधिकारियों ने कहा कि फोन से भी सर्वे किया गया है. इस पर उन्होंने कहा कि हमारा देश अभी इतना डेवलप नहीं किया है कि फोन से गांव-गांव का गणना कर दी जाए. कई लोगों के पास तो फोन भी नहीं है.
ये है जाति आधारित गणना की रिपोर्ट
बता दें कि बिहार मंत्रिमंडल ने पिछले साल दो जून को जाति आधारित गणना कराने की मंजूरी देने के साथ इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की थी. बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने दो अक्टूबर को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है. बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से ईबीसी (36 प्रतिशत) सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है.
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Source: IOCL





















