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KK Pathak: कौन हैं केके पाठक...जिनके लिए सीएम नीतीश के कार्यक्रम में बजी सबसे ज्यादा ताली

KK Pathak News: केके पाठक हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. केके पाठक एक कड़े मिजाज के अफसर जाने जाते हैं. वहीं, आज सीएम नीतीश कुमार ने केके पाठक की जमकर तारीफ की.

पटना: राजधानी पटना के गांधी मैदान में नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया. इसको लेकर बड़े पैमाने पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे हुए थे. सभा को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) की तारीफ की. उन्होंने कहा कि कितना अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग इनके खिलाफ अल बल बोलते हैं. वहीं, केके पाठक हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. केके पाठक एक कड़े मिजाज के अफसर जाने जाते हैं. आईएएस केके पाठक के बारे में आइए जानते हैं.

केके पाठक को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि 'अरे पाठक जी जो एक लाख बीस हजार शिक्षक बहाली बची हुई है, उसको दो महीना के अंदर करवा दीजिए. कीजिए गा न? खड़ा होकर बताइए. आपलोग जान लीजिए दो महीना के अंदर बची हुई शिक्षक बहाली भी शुरू कर दी जाएगी. सीएम के इस बयान पर खूब तालियां बजी.

1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं केके पाठक 

1990 बैच के आईएएस अधिकारी केके पाठक बिहार के सियासी और प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों सुर्खियों में है. 1968 में जन्मे केशव कुमार पाठक ने शुरुआती पढ़ाई यूपी से की है. 1990 में पाठक की तैनाती कटिहार में हुई. इसके बाद गिरिडीह में भी एसडीओ रहे. पाठक का पहला विवाद गिरिडीह में ही सामने आया था. वे बेगूसराय, शेखपुरा और बाढ़ में भी एसडीओ पद पर तैनात रहे. 1996 में पाठक पहली बार डीएम बने. उन्हें गिरिडीह की कमान मिली. राबड़ी शासन के दौरान पाठक को लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज की जिम्मेदारी भी मिली. यहीं पर पाठक ने पहली बार सुर्खियां बटोरी. केके पाठक ने गोपालगंज में एमपीलैड फंड से बने एक अस्पताल का उद्घाटन सफाईकर्मी से करवा दिया.

केके पाठक चर्चा में शुरू से रहे हैं 

यह फंड गोपालगंज के सांसद और राबड़ी देवी के भाई साधु यादव ने मुहैया कराया था. केके पाठक के इस रवैए से खूब बवाल मचा था. गोपालगंज में पाठक की हनक से आखिर में राबड़ी सरकार तंग आ गई और उन्हें वापस सचिवालय बुला लिया गया. 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनी तो केके पाठक को बड़ा ओहदा मिला. पाठक को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) का प्रबंध निदेशक बनाया गया. साल 2008 में हाईकोर्ट ने एक आदेश में पाठक पर 5000 का जुर्माना भी लगाया.  पाठक बिहार आवास बोर्ड के सीएमडी भी रहे. नीतीश कुमार के करीबी अधिकारी अरुण कुमार के निधन के बाद शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी पाठक को सौंपी गई.

महागठबंधन सरकार में पाठक को वापस बुलाया गया

साल 2010 में पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए. 2015 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश ने उन्हें वापस बुलाया. 2015 में आबकारी नीति लागू करने में केके पाठक ने बड़ी भूमिका निभाई. 2017-18 में फिर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए, जहां से 2021 में पदोन्नत होकर वापस लौटे. 2021 में फेम इंडिया मैगजीन ने भारत के 50 असरदार ब्यूरोक्रेट्स की एक सूची प्रकाशित की, जिसमें केके पाठक का भी नाम शामिल था. 

लालू से लेकर नीतीश तक की बढ़ा चुके हैं मुश्किलें 

पाठक की हनक से पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव, पूर्व सांसद रघुनाथ झा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी मुश्किलें बढ़ा चुके हैं. 2015 में सनकी कहने पर पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी को पाठक ने लीगल नोटिस भेजा था. सियासी जानकारों की मानें तो केके पाठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चहेते अधिकारी हैं. महागठबंधन की सरकार बनने पर 2015 में पाठक को दिल्ली से नीतीश ने बुलाया था. इस स्टोरी में केके पाठक और उनसे जुड़े विवादों के बारे में विस्तार से जानते हैं. वहीं, नीतीश सरकार के 2 मंत्री चंद्रेशखर और रत्नेश सादा से विवाद को लेकर कुछ दिन पहले केके पाठक सुर्खियों में थे. अभी केके पाठक पाठक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद पर तैनात हैं.

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