Bihar Politics: तेजस्वी यादव की PM मोदी से मांग, लाल किले से कर दें जातीय जनगणना कराने की घोषणा
तेजस्वी ने कहा था, " जातीय जनगणना नहीं कराने की सरकार द्वारा संसद में लिखित सूचना दी गयी है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. पिछड़े-अति पिछड़े वर्ग सालों से अपेक्षित प्रगति नहीं कर पा रहे हैं."

पटना: बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जातीय जनगणना कराने की मांग पर अड़े हुए है. साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना जाति के आधार पर हो इस बाबत तेजस्वी लगतार देश कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगा रहे हैं. इसी क्रम में स्वतंत्रता दिवस से ठीक एक दिन पहले तेजस्वी ने ट्वीट कर पीएम मोदी से जातीय जनगणना कराने की घोषणा करने की मांग की है. उन्होंने पीएम मोदी से अपील की है कि वे कल लाल किला पर झंडा फहराने के बाद वहीं से जातीय जनगणना कराने की घोषणा कर दें.
लाल किले से ही कर दें घोषणा
तेजस्वी ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, " संसद ना सही लेकिन कल लाल किले की प्राचीर से 75वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गरीब, वंचित, उपेक्षित और पिछड़े/अतिपिछड़ों वर्गों के उत्थान और समावेशी विकासात्मक काम को समुचित गति देने के लिए “जातीय जनगणना कराने” की घोषणा करने की मांग करता हूं."
संसद ना सही लेकिन कल लाल क़िले की प्राचीर से 75वें स्वतंत्रता दिवस पर आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी से गरीब, वंचित, उपेक्षित व पिछड़े/अतिपिछड़ों वर्गों के उत्थान एवं समावेशी विकासात्मक कार्यो को समुचित गति देने हेतु “जातीय जनगणना कराने” की घोषणा करने की माँग करता हूँ।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 14, 2021
पत्र लिखकर की थी जनगणना कराने की मांग
बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की थी. नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में लिखा था, " देश में विकास कार्यों को समुचित गति देने के लिए नीति निर्धारण, बजट आवंटन और टीम इंडिया में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास नारे अंतर्गत सामूहिक लक्ष्य प्राप्त करने की अपेक्षित प्रगति और वास्तविक जनसंख्या की जानकारी के लिए भारत सरकार की ओर से हर 10 सालों में जनगणना कराई जाती है."
तेजस्वी ने कहा था, " जातीय जनगणना नहीं कराने की सरकार द्वारा संसद में लिखित सूचना दी गयी है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. पिछड़े-अति पिछड़े वर्ग सालों से अपेक्षित प्रगति नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में अगर अब जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी तो पिछड़ी/अति पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का ना तो सही आकलन हो सकेगा, ना ही उनकी बेहतरी संबंधित समूचित नीति निर्धारण हो पाएगा और ना ही उनकी संख्या के अनुपात में बजट का आवंटन हो पाएगा."
यह भी पढ़ें -
अजब-गजब: मौत को हरा कर लौटा मजदूर, 19 घंटे की जंग के बाद ऐसे बचाई अपनी जान
कटिहार: बोरे बेचने वाले टीचर के समर्थन में उतरा शिक्षक संघ, निलंबन वापस लेने की कर रहे मांग
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL





















