Bihar Politics: इफ्तार के दिन कुछ ऐसे मिले थे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव, चिराग पासवान ने कहा- ये बड़ा संकेत
चिराग पासवान ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस तरीके से नेता प्रतिपक्ष की इफ्तार पार्टी में पैदल चलकर चले गए ये विषय थोड़ा महत्वपूर्ण है. बार-बार कहता रहा हूं कि बिहार में मध्यावधि चुनाव होंगे.

पटनाः बिहार में पिछले महीने अलग-अलग राजनीतिक दलों की ओर से हुई इफ्तार पार्टी के बाद प्रदेश का सियासी रंग भी इन दिनों बदला-बदला सा दिख रहा है. इफ्तार पार्टी के रंग में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसे डूबे थे कि वे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की इफ्तार पार्टी में पैदल ही पहुंच गए. यहां तक कहा जाने लगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से पाला बदल सकते हैं. अब कुछ दिनों से जातीय जनगणना से लेकर कई मुद्दों पर फिर से राजनीति शुरू हो गई है. चिराग पासवान ने इसे बड़ा संकेत बता दिया है.
चिराग पासवान ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस तरीके से नेता प्रतिपक्ष की इफ्तार पार्टी में पैदल चलकर चले गए ये विषय थोड़ा महत्वपूर्ण है. क्योंकि 2004 में इसी तरीके से सोनिया गांधी मेरे नेता रामविलास पासवान के आवास पर पैदल चल कर आईं. उस वक्त इंडिया शाइनिंग चल रहा था और हम हम लोगों ने देखा था कि कैसे यूपीए वन की उस वक्त सरकार बनी.
चिराग ने कहा कि 2017 से लेकर 2022 तक कभी नहीं देखा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसी इफ्तार में, किसी दही-चूरा में या किसी तरह के कार्यक्रम में पैदल गए हों. ना सिर्फ पैदल चलकर बल्कि नेता प्रतिपक्ष के साथ एक घंटे तक की मुलाकात तो यकीनन संकेत बड़े हैं. मैं तो बार-बार कहता रहा हूं कि बिहार में मध्यावधि चुनाव होंगे.
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चिराग ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आज लगता है विशेष राज्य का दर्जा जरूरी है. 2017 में जब रातों-रात गठबंधन बदला उस मांग को लेकर नहीं उठाया. 2019 में लोकसभा चुनाव के वक्त इस मांग को नहीं उठाया. 2020 विधानसभा चुनाव के वक्त इस मांग को नहीं उठाया. जातीय जनगणना को लेकर मैं भी समर्थन करता हूं. जब ऐसे समय में मांगे उठती हैं तो कहीं ना कहीं इसका ये भी होता है गठबंधन से दूरी बढ़ानी है.
‘ना रोजगार की बात, ना भ्रष्टाचार की’
आगे कहा कि मेरे लिए मेरा विजन डॉक्यूमेंट 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' बहुत मायने रखता है. बिहार को एक विकसित राज्य बनाने के संकल्प के साथ मैं बिहार की राजनीति में उतरा हूं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाने के लिए नई कुर्सी तैयार करने के लिए पूरी मेहनत करते हैं. कौन बात कर रहा है बिहार के 19 लाख रोजगार की? कौन बात कर रहा है बढ़ते भ्रष्टाचार की?
चिराग ने कहा- "मैं सिर पर कफन बांध कर निकला हूं, मेरी लड़ाई बहुत लंबी है. जब आप लंबी लड़ाई लड़ते हैं तो उसमें बीच में छोटी बड़ी आहुतियां देने में कोई फर्क नहीं पड़ता है." इस बार 2020 के चुनाव में बिहार की जनता ने कम से कम एक बात बहुत स्पष्ट तरीके से रखी कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नहीं चाहते हैं, अगर चाहते तो जनादेश उनके खिलाफ नहीं आता. तीसरे नंबर की पार्टी नहीं होती. ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशी उनके चुनाव नहीं हारते. अगर नेता प्रतिपक्ष मुख्यमंत्री दोनों एक साथ एक गठबंधन में आकर चुनाव लड़ते हैं तो इनकी क्रेडिबिलिटी पर जो सवाल उठेंगे उसका जनता कितना साथ देगी वो चुनाव परिणाम बताएगा.
प्रशांत किशोर से संबंध पुराना
प्रशांत किशोर और मुकेश सहनी को लेकर चिराग ने कहा कि दोनों से हमारी बहुत पुराना संबंध है. चिराग ने कहा कि प्रशांत किशोर की चुनाव लड़ने की सोच है या नहीं है पर स्वागत जरूर करूंगा उनका. इतना जरूर जानता हूं कि वह भी जात-पात, धर्म, मजहब से ऊपर उठकर विकास की सोच रखने वाले व्यक्तियों में से एक हैं. 2015 में महागठबंधन की सरकार बनाने में प्रशांत किशोर की अहम भूमिका रही थी. अगर ऐसे में वह सक्रिय राजनीति में आते हैं तो यकीनन मैं उनका स्वागत करूंगा.
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चिराग ने कहा कि इससे पहले गठबंधन का स्वरूप पुनः निर्धारित होना जरूरी है. क्योंकि ऐसे घटक दल जिनके पास वह मतदाता है जो राष्ट्रपति चुनाव में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं उनको अपनी लाइन क्लियर करनी जरूरी है. 2024 में राष्ट्रपति चुनाव से पहले महत्वपूर्ण आम चुनाव है. चिराग ने कहा- "मैं मानता नहीं मानता कि 2025 में चुनाव होगा, मैं मानता हूं कि मध्यवर्ती चुनाव होगा और बहुत पहले होगा. यकीनन जुलाई से पहले बिहार की राजनीति में अजब-गजब दोनों चीजें होंगी."
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