Bihar Politics: अपनी रिहाई के आदेश को लेकर मायावती के आरोपों पर आनंद मोहन ने तोड़ी चुप्पी, दिया ये करारा जवाब
Anand Mohan News: बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के आदेश को लेकर नीतीश सरकार पर हमलावर बसपा सुप्रीमो मायावती के आरोपों पर आनंद मोहन ने पलटवार किया है.

पटना: बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के आदेश को लेकर नीतीश सरकार पर हमलावर मायावती पर आनंद मोहन का बयान सामने आया है. उन्होंने इसे लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती के आरोपों पर करारा जवाब दे दिया है. आनंद मोहन ने साफ तौर पर कहा डाला है कि कौन मायावती हम नहीं जानते हैं. उन्होंने कहा कि सत्यनारायण भगवान की पूजा में कलावती का नाम सुना था. आनंद मोहन ने कहा कि एक मजबूत opposition होना चाहिए. समय आने दीजिए आगे की राजनीतिक राह तय करेंगे अपने साथियों के साथ बैठकर फैसला करेंगे.
बिहार के पूर्व सांसद और हत्या के दोषी आनंद मोहन सिंह फिलहाल अपने बेटे की शादी के लिए 15 दिनों की पैरोल पर बाहर हैं. उन्होंने कहा, "मैं यहां समारोह के बाद जेल लौटूंगा और जब रिहाई के आदेश आएंगे, तब मैं आप सभी को बुलाऊंगा.''
ललन सिंह ने भी मायावती के आरोपों पर किया पलटवार
बता दें कि बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के नीतीश सरकार के फैसले को लेकर बिहार में सियासत तेज है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. आनंद मोहन के पहले इस मामले में जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी मायावती के आरोपों पर पलटवार किया है. उन्होंने ट्वीट किया ''आनंद मोहन की रिहाई पर अब भाजपा खुलकर आई है. पहले तो यूपी की अपनी बी टीम से विरोध करवा रही थी.
जानें मायावती ने क्या लगाए थे आरोप?
बीएसपी चीफ मायावती ने बाहुबली की रिहाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, "बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है."
मायावती ने आगे लिखा, "आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम श्री कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है. चाहे कुछ मजबूरी हो किन्तु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे."
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Source: IOCL























