Bihar News: सीमांचल पर सियासत! BJP के पूर्व MLC ने बताया- खतरे में है बिहार, उपेंद्र कुशवाहा ने दिया जवाब
Bihar Politics: गृह मंत्री अमित शाह बिहार आने वाले हैं. इसके पहले कई तरह की बातें हो रही हैं. पढ़िए बीजेपी के पूर्व एमएलसी और विश्लेषणकर्ता हरेंद्र प्रताप क्या कहते हैं.
पटना: देश के गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) सीमांचल दौरे पर बिहार आ रहे हैं. इसको लेकर कई तरह की बातें सियासी गलियारे में घूम रही हैं. सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर सीमांचल को लेकर सियासी हलचल क्या है? इसको लेकर बीजेपी के पूर्व एमएलसी और विश्लेषणकर्ता हरेंद्र प्रताप (BJP Former MLC Harendra Pratap) ने बुधवार को आंकड़ों के साथ बड़ी बात कही है. इतना ही नहीं बल्कि हरेंद्र प्रताप ने यहां तक कह दिया कि बिहार आज खतरे में है.
विश्लेषणकर्ता हरेंद्र प्रताप ने कहा कि देश का बंटवारा हुआ वो भौगोलिक दृष्टि से ऐसा बंटवारा था जो पाकिस्तान, पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान ये दोनों को आवागमन की दृष्टि से दिक्कत थी. भारत के राजनेता ये स्वीकार न करें लेकिन 'मिथ ऑफ इंडिपेंडेंस' में जुल्फिकार अलि भुट्टो ने लिखा है कि उनको जमीन मिलनी चाहिए जो पूर्वी पाकिस्तान हैं. उन्होंने आजादी के बाद एक बड़ी योजनाबद्ध तरीके से पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान को जोड़ने के लिए एक गलियारा बनाना शुरू कर दिया. इसका सबसे बड़ा प्रवेश द्वार बिहार के दो जिलों में बना, संताल परगना और पूर्णिया. उस समय ये दोनों एक ही जिले थे.
आंकड़ों से समझाई बात
हरेंद्र ने कहा कि 1956 में राज्य पुनर्गठन के कारण कुछ हिस्से बिहार के जो हैं वो पश्चिम बंगाल को दे दिए गए थे. 1951 में पूर्णिया जिले में मुस्लिम जनसंख्या 32.35 थी और पश्चिम बंगाल को हिस्सा दे देने के बाद 30.12 हो गई. अब चार जिले हो गए हैं. पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया. इन चारों जिलों के अंदर की जनसंख्या को अगर जोड़ा जाए तो मुस्लिम जनसंख्या 30.12 से बढ़कर 45.93 हो गई है. यानी लगभग 16 प्रतिशत बढ़ गई है. 1951 से 2011 की जो जनगणना है उसमें राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम जनसंख्या में 4.31 प्रतिशत बढ़ रही है.
उन्होंने आगे कहा कि ये संख्या सब जगह नहीं बढ़ी है. जो लोग कहते हैं कि मुस्लिम परिवार नियोजन नहीं मानते हैं ये भारत के मुसलमानों को अपमान करने की बात है. ये योजनाबद्ध तरीके से बांग्लादेश से लोगों को भेजा जा रहा है. ये आकर कहां बसते हैं इसकी भी योजना भी बनाई जाती है. 1951 से 1961 के बीच पूर्णिया जिले में राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिशत के आसपास बढ़ी है लेकिन ये संख्या 30.12 से 37.67 यानी लगभग 7.5 प्रतिशत बढ़ाई गई. इसका परिणाम क्या हुआ कि जो सब डिवीजन का किशनगंज प्रखंड था वो हिंदू बाहुल्य था. अब इसको प्रवेश बनाकर मुस्लिम जनसंख्या भारत से काटने के लिए उसको और हमसे छीन लिया गया और हम देखते रह गए. वहां पर हिंदू 1961 से 1971 के बीच में 13.25 बढ़े तो मुसलमान बढ़े 64.57 और परिणाम क्या हुआ कि जो हिंदू बाहुल्य था किशनगंज और टेरागाछी ये दोनों अब मुस्लिम बाहुल्य हो गया और उसके सातों प्रखंड मुस्लिम बाहुल्य हो गए.
'यहां हिंदुओं की जनसंख्या घटी'
हरेंद्र प्रताप ने कहा कि जब किशनगंज जाएंगे तो कटिहार से आने वाली ट्रेन और पश्चिम बंगाल से आने वाली ट्रेन ये दोनों बारसोई में मिलती हैं. बारसोई के अंतर्गत जो जनसंख्या बढ़ाई गई है ये 16.33 प्रतिशत बढ़ी है. यहां पर हिंदुओं की संख्या घटी है. यहां हिंदुओं की संख्या 1961 में 43 हजार थी तो यह 1971 में बढ़ने की जगह घटकर 40 हजार हो गई. यानी हिंदुओं का पलायन हो रहा है. ये मामला मैं कोई आज नहीं उठा रहा हूं. सबसे पहले इस विषय को बिहार विधानसभा में उठाया था गणेश प्रसाद यादव ने और कहा था कि बिहार में घुसपैठिए आ रहे हैं. वो 1981 में विषय उठाया था. पहले वो जनता पार्टी में थे फिर जेडीयू में आ गए. उन्होंने सबसे पहले कहा था कि पूर्णिया जिले में घुसपैठियों का आना जारी है और ऊंची कीमत पर जमीन कब्जा कर रहे हैं.
हरेंद्र प्रताप ने कहा कि दुख की बात ये है कि बिहार विधानसभा की गरिमा को 2020 में गिराने का काम किया गया और विधानसभा से पारित किया गया कि यहां एनआरसी लागू नहीं होगा. यानी घुसपैठियों की पहचान नहीं की जाएगी. पूर्णिया के बायसी में कुछ दिनों पहले एक दलिस बस्ती में आग लगाई गई कि वो भाग जाएं. जिन लोगों ने बिहार विधानसभा के अंदर मौन साधा है उनको बिहार की जनता माफ नहीं करेगी. बिहार को काटने की योजना है, जो लोग इसको नकार रहे हैं वो देश के नागरिक हैं और ये उनकी देशभक्ति पर सवाल खड़ा करता है. प्रमाणित दस्तावेज के आधार पर उन्होंने कहा कि बिहार आज बहुत खतरे हैं.
उपेंद्र कुशवाहा ने दिया ये बयान
इधर, उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मंदिर में कोई दर्शन करे, मस्जिद में जाए इससे किसी को क्या दिक्कत हो सकता है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी के लोग या बीजेपी के नेता मंदिर में पूजा के लिए तो जाते नहीं हैं. मंदिर में जाते हैं और कुछ इस तरह का मैसेज देना चाहते हैं कि समाज में तनाव हो जाए. पूर्णिया या किशनगंज के इलाकों में अल्पसंख्यक लोगों की आबादी ज्यादा है. जो बीजेपी के नेता आएंगे और मंदिर जाएंगे तो इसके पीछे यही मकसद है कि समाज में तनाव का वातावरण पैदा हो.
यह भी पढ़ें-
ट्रेडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
and tablets