Baba Bageshwar Dham: 10 सितंबर को गयाजी आएंगे धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री, पितरों की आत्मा की शांति के लिए कराएंगे पिंडदान
Dhirendra Krishna Shastri: बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने अपने फेसबुक पेज पर गया आने की खबर दी है. इसमें बताया कि 10 सितंबर से 16 सितंबर तक वह गयाजी में प्रवास करेंगे.

गयाजी में छह सितंबर से पितृपक्ष मेला शुरू है. पितृपक्ष मेला के बीच बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री गया आ रहे है. पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के गयाजी तीर्थ पुरोहित गजाधर लाल कटरियार ने सोमवार को बताया कि उनके आने की सूचना मिली है.
शिष्यों के साथ करेंगे त्रिपिंडी श्राद्ध और पिंडदान
पितृपक्ष मेला के दौरान वह अपने शिष्यों के साथ गया आकर त्रिपिंडी श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण कराएंगे तथा एकादश भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा. बताया कि उनके पूर्वज भी गया में आकर अपने पितरों का पिंडदान व तर्पण किया था. वर्षों पुराने बही खाता में उनका हस्ताक्षर मौजूद है.
पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के पुरोहित होने के कारण पंडा गजाधर लाल कटरियार का उड़ीसा भवन एक बार फिर चर्चा में है. बताया कि धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री मध्य प्रदेश के छतरपुर गढ़ा के रहने वाले है और उनका गया पाल पुरोहित के रूप में मैं हूं.
वहीं बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने भी अपने फेसबुक पेज पर गया आने की खबर दी है, जिसमें बताया कि 10 सितंबर से 16 सितंबर तक वह गयाजी में प्रवास करेंगे. अपने शिष्यों, भक्तों को एकादश भागवत कथा सुनाएंगे और पिंडदान को संपन्न कराएंगे. हालांकि इस बार दिव्य दरबार का आयोजन नहीं होगा.
बागेश्वर धाम सरकार का गया में किस स्थान पर एकादश कथा का आयोजन और अपने शिष्यों का पितरों का पिंडदान को कराएंगे यह निर्धारित नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि बोधगया के एक निजी रिसॉर्ट में उनका प्रवास होगा और वहीं श्राद्ध कार्य को पूरा कराएंगे. वर्ष 2024 में भी इसी स्थान पर अपने शिष्यों के साथ कथा सुनाए थे.
15 दिवसीय पितृपक्ष का बड़ा महत्व
बता दें कि गयाजी में पिंडदान वर्ष भर में कभी भी किया जा सकता है, लेकिन 15 दिवसीय पितृ पक्ष पर्व के दौरान या किसी भी माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम, पंचमी, तृतीया या एकादशी तिथि को पिंडदान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है. पितृ पक्ष मेले के दौरान देश-दुनिया के विभिन्न स्थानों से लाखों श्रद्धालु पिंडदान के लिए गयाजी पहुंचते हैं.
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