यूपी में 'मैसी' गिरफ्तार, पुलिस ने छापा मारकर दबोचा, इस मामले में हुई कार्रवाई
Cyber Crime: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में पुलिस ने फर्जी खुफिया संगठन का निदेशक बनकर लोगों से उसका पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज बनाने के नाम पर मोटी रकम वसूलने वाले एक कथित ठग को गिरफ्तार किया है.

UP Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में पुलिस ने फर्जी खुफिया संगठन का निदेशक बनकर लोगों से उसका पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज बनाने के नाम पर मोटी रकम वसूलने वाले एक कथित ठग को गिरफ्तार किया है. पुलिस अधीक्षक (शहर) मानुष पारीक ने बताया कि आरोपी विजय मैसी खुद को ‘कोवर्ट इंटेलिजेंस नेटवर्क सोशल वेलफेयर एसोसिएशन’ नामक एक फर्जी संगठन का निदेशक बताता था और फर्जी पहचान दस्तावेज तैयार करने के लिए मोटी रकम वसूलता था.
उन्होंने बताया कि पुलिस को मैसी के बारे में सूचनाएं मिली थीं जिनकी जांच कराई गई इतथा जांच में आरोप सही पाये जाने के बाद पुलिस और विशेष कार्य बल (एसओजी) की संयुक्त टीम ने सोमवार शाम पटेल नगर में छापा मारकर मैसी को उसके कार्यालय से गिरफ्तार कर लिया.
पूछताछ में मैसी ने क्या खुलासा किया?
पारीक के अनुसार छापे के दौरान कई जाली दस्तावेज और सामग्री जब्त की गई. पूछताछ में मैसी ने खुलासा किया कि वह उत्तराखंड के चंपावत जिले के बनबसा के बामनपुरी का रहने वाला है और फिलहाल बरेली के इज्जतनगर स्थित आशुतोष सिटी में रहता है. पुलिस अधीक्षक के मुताबिक आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने केवल 12वीं तक पढ़ाई की है और उसके पास कोई कानूनी डिग्री या योग्यता नहीं है.
पुलिस का कहना है कि मैसी ने पूछताछ में बताया है कि इससे पहले वह उत्तराखंड में एक सुरक्षा कंपनी में काम करता था और फिर जालसाजी में लग गया. मैसी ने कुबूल किया कि उसने लोगों को लुभाने के लिए 'कोवर्ट इंटेलिजेंस नेटवर्क सोशल वेलफेयर सोसाइटी' नाम का इस्तेमाल किया और अनेक लोगों को सोसाइटी का पहचान पत्र जारी कर उनसे पैसे ऐंठे.
जिलाधिकारियों को संबोधित पत्र
पारीक के अनुसार मैसी ने बरेली के प्रेमनगर थाना क्षेत्र में अपना फर्जी कारोबार स्थापित किया था. पुलिस ने मौके से पुलिस के रंग के पहचान पत्र, विभिन्न विभागों के नियुक्ति पत्र और आवेदन पत्र, बरेली, रुद्रपुर के जिलाधिकारियों को संबोधित पत्र, पेन ड्राइव एवं अन्य सामग्री जब्त की है. एक कार भी जब्त की गयी है जिस पर 'निदेशक' लिखा है.
पारीक का कहना है कि मैसी ने फर्जी खुफिया नेटवर्क आईडी कार्ड जारी किए जिनका इस्तेमाल लोग टोल शुल्क और पुलिस जांच से बचने के लिए करते थे. पुलिस अब उसके नेटवर्क की जांच कर रही है और धोखाधड़ी में शामिल अन्य लोगों की पहचान कर रही हैं.
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