विराट कोहली से अंपायर ने निकाली कौन सी दुश्मनी
पर्थ टेस्ट में भारतीय टीम करीब-करीब ऑस्ट्रेलियाई टीम की बराबरी करने ही वाली थी. तभी विराट कोहली के बल्ले से छूकर गेंद दूसरी स्लिप में खड़े फील्डर के पास चली गई. फील्डर थे हैंड्सकॉम्ब. उन्होंने अपनी दाहिनी तरफ डाइव लगाकर कैच लपक लिया. कैच क्लीन था या नहीं इसको लेकर काफी भ्रम की स्थिति थी.

पर्थ टेस्ट में भारतीय टीम करीब-करीब ऑस्ट्रेलियाई टीम की बराबरी करने ही वाली थी. तभी विराट कोहली के बल्ले से छूकर गेंद दूसरी स्लिप में खड़े फील्डर के पास चली गई. फील्डर थे हैंड्सकॉम्ब. उन्होंने अपनी दाहिनी तरफ डाइव लगाकर कैच लपक लिया. कैच क्लीन था या नहीं इसको लेकर काफी भ्रम की स्थिति थी. फील्ड अंपायर कुमार धर्मसेना ने विराट कोहली का आउट करार दिया.
अंपायर के इस फैसले पर चर्चा करें उससे पहले आपको बता दें कि विराट कोहली जब आउट हुए तो मैच किस मोड़ पर था. उस वक्त भारत का स्कोर था- 251 रन. उस वक्त भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से 75 रन पीछे थी. विराट कोहली 123 रन बनाकर अच्छा खासा सेट हो चुके थे. इस बात की पूरी उम्मीद थी कि वो निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ टीम का स्कोर तीन सौ के पार तो ले ही जाएंगे. उनकी मौजूदगी का फर्क ये था कि ऋषभ पंत भी क्रीज पर टिककर बल्लेबाजी कर रहे थे.
विराट कोहली लगातार उनसे बात कर रहे थे. उन्हें समझा रहे थे कि किस तरह टिककर बल्लेबाजी करनी है. कोशिश इसी बात की थी कि पहले तो ऑस्ट्रेलिया के स्कोर के आस-पास पहुंचा जाए और फिर जान लगाई जाए कि थोड़ी बहुत बढ़त मिल सके. लेकिन विराट कोहली के विकेट ने इस टेस्ट मैच की पूरी तस्वीर ही बदल दी. विराट के आउट होने के बाद भारतीय टीम अगले 32 रन में सिमट गई. इस तरह ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी के आधार पर 43 रनों की अहम बढ़त मिल गई. याद रखिएगा इस टेस्ट मैच में हार जीत का फैसला इन्हीं 43 रनों के आस-पास होगा.
क्या नॉट आउट थे विराट कोहली?
हैंड्सकॉम्ब के कैच लपकने के बाद जो अपना हाथ दिखाया उसमें उनकी ऊंगलियों के बीच अच्छा खासा ‘गैप’ था. उनका ये इशारा एक तरह अपनी तरफ से किया गया ‘क्लेम’ था कि उन्होंने ‘क्लीन’ कैच पकड़ा है. इस बात पर चर्चा हो सकती थी कि उस ‘गैप’ से गेंद ने मैदान को छुआ या नहीं. लेकिन इस चर्चा से पहले ही अंपायर ने विराट कोहली को आउट करार दिया. फिर उन्होंने अपने फैसले को परखने के लिए थर्ड अंपायर की तरफ इशारा भी कर दिया.
अमूमन जब इस तरह के कैच के मामले में बात थर्ड अंपायर तक पहुंचती है तो उसके पास फील्ड अंपायर के फैसले को बदलने के लिए कोई ठोस वजह होनी चाहिए. थर्ड अंपायर नाइजेल लॉन्ग ने अलग अलग एंगल से उस कैच को परखा. शॉट को जूम करके भी देखा. इन सारी कवायदों के बाद भी उन्हें समझ नहीं आया होगा कि विराट कोहली के कैच को क्लीन पकड़ा गया है नहीं. चूंकि वो खुद ही ‘श्योर’ नहीं थे इसलिए उन्होंने फील्ड अंपायर के फैसले को ही सही फैसला करार दिया. उनके इस फैसले के साथ ही पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया पूरी तरह ‘बैकफुट’ पर आ गई. विराट कोहली समझ गए कि अब ये टेस्ट मैच बचाना मुश्किल होगा. आउट होने के बाद पवेलियन जाते वक्त इस बात की झुंझलाहट उनके चेहरे पर साफ दिखाई दी.
आदर्श स्थिति में क्या होना चाहिए था
कुमार धर्मसेना श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर हैं. लंबे समय से आईसीसी के अंपायर हैं. मुसीबत ये है कि वो भारतीय टीम के खिलाफ पहले भी कई बार विवादास्पद फैसले दे चुके हैं. पर्थ में बेहतर होता अगर कुमार धर्मसेना ने खुद आउट देने से पहले ही थर्ड अंपायर की मदद ले लेते. इस सूरत में थर्ड अंपायर के पास अगर ये फैसला जाता तो वो बल्लेबाज को ‘बेनेफिट ऑफ डाउट’ जरूर देते.
मैच के दौरान कॉमेंट्री टीम में लगातार इस बात को लेकर चर्चा होती रही कि कोई फील्ड अंपायर फील्डर के दावे पर यकीन करके इतना अहम फैसला कैसे दे सकता है. क्रिकेट के खेल में आई तमाम नई-नई तकनीकों की समीक्षा भी की गई. समूची बहस के बाद नतीजा यही निकला कुमार धर्मसेना ने विराट कोहली को आउट देने में जो जल्दबाजी दिखाई वो इस टेस्ट मैच में टीम इंडिया पर बहुत भारी पड़ेगी. भूलना नहीं चाहिए कि चौथी पारी में इस बार बल्लेबाजी भारतीय टीम को करनी है.
Source: IOCL
















