Bihar Prison Laws में वो बदलाव जिसका होगा सबसे ज़्यादा असर, जानें | FYI
Episode Description
आईएएस ऑफिसर जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद को आजीवन कारावास की सजा मिली थी। वह अपने बेटे आरजेडी विधायक चेतन आनंद की सगाई में हिस्सा लेने के लिए पैरोल पर बाहर थे और आज सुबह चार बजे उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। यह घटना 1994 की है। तब कृष्णैया गोपालगंज के डीएम थे। गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस के दौरान भीड़ ने पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी थी। इस जुलूस में आनंद भी शामिल थे। उन पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगा और वह दोषी पाए गए। एक अदालत ने अक्टूबर, 2007 में मोहन को मृत्युदंड सुनाया था, जिसे पटना उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2008 में उम्रकैद में बदल दिया था. निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी थी. नीतीश कुमार सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार की जेल नियमावली में बदलाव किया और करीब 27 कैदी रिहा हो गए। चर्चे हर जगह आनंद मोहन की रिहाई के हैं और नितीश कुमार की आलोचना के लेकिन आज हम बात करेंगे बिहार जेल नियमावली में आखिर क्या २ बड़े बदलाव किये गए खासकर वो एक बदलाव जिसका असर हमेशा के लिए बिहार में पब्लिक सर्वेन्ट्स पे पड़ेगा ? मैं मानसी हूँ आपके साथ लेकर FYI जहाँ आज हमारे साथ हैं जाने माने अधिवक्ता अभिषेक सिन्हा























