Aurangabad to Sambhaji Nagar: औरंगाबाद का बदला नाम, आख़िर क्यों खेला Shivsena ने ये आखिरी दांव | FYI | Ep. 260
Episode Description
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत… महाराष्ट्र और शिवसेना की हालत देख कर तो फिलहाल तो यही मुहावरा समझ आ रहा है
अब ये नहीं कहें तो क्या कहें। औरंगाबाद का नाम भी तब बदला जब सरकार अनौपचारिक तरीके से गिर ही गई थी। जी मैं बात कर रही हूँ महाराष्ट्र के एक महत्वपूर्ण शहर Aurangabad की। हाल ही में आपको पता चला होगा कि औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर रख दिया गया है। और ये बृहस्पतिवार को हुआ, यानी कि कल। हाँ सही समझे। कल ही Uddhav Thackeray ने Facebook पर Live आ कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दिया। ये भी कहा जा सकता है कि ये फैसला Shivsens का आखिरी सबसे बड़ा फैसला होगा सरकार गिरने से पहले। मगर केवल औरंगाबाद का ही नहीं बदल रहा है नाम। Osmanabad का भी नाम बदल कर Dharashiv रखा जाएगा।हैदराबाद राजा के नाम से Osmanabad नाम पड़ा जिनका असल नाम था Mir Osman Ali. तो थोड़ी बात करते हैं कि कैसे कर क्यों बदला इन शहरों का नाम और कब से चली आ रही है इनके नाम बदलने की कवायद।
नमस्कार, आदाब, सत्श्रीअकाल,
मैं हूँ Sahiba Khan, आपकी FYI होस्ट और आज बात करेंगे महाराष्ट्र में सरकार गिरने से पहले शिवसेना के एक बड़े फैसले की। Aurangabad और Osmanabad का नाम-बदलीकारण हो चुका है। मगर जानकारों की मानें तो काफी लेट हुआ है। महाराष्ट्र में विपक्ष यानी कि BJP ने सेना का इस मुद्दे पर काफी मज़ाक भी बनाया, तानाकशी भी की कि वादे के अनुसार अभी तक Aurangabad का नाम बदला नहीं गया। उनका कहना था कि ये शायद इसलिए भी हो सकता है क्योंकि Shivsena के गठबंधन साथी secular हैं।
हाल ही में हमने देखा कि कैसे Eknath Shinde ने सेना लीडर Uddhav Thackeray को कम हिन्दू बताया और खुद को ज़्यादा। ये कहा कि जिस Shivsens को वो जानते थे वो अब वैसी बची नहीं। कैसे? कट्टर हिंदूवादी। उनका ये कहना है कि Congress और NCP जैसी पार्टियों के साथ मिल कर शिवसेना भी कम हिन्दू हो गई है। बस शायद अपना हिंदुत्व साबित करने के लिए शिवसेना ने ये आखिरी दांव खेला था। कि शायद MLA वापस आ जाएं।
हालाँकि सबसे पहला और लाज़मी सवाल ये है कि क्यों? क्यों Aurangabad का नाम बदलने की इतनी होड़ लगी हुई है?
तो औरंगाबाद के बारे में जानने से पहले उसका इतिहास जान लेना बहुत ज़रूरी है। औरंगाबाद को 1610 में Malik Ambar ने बसाया था। Malik Amber उस समय Ahmadnagar की निज़ामशाही सल्तनत के जनरल थे। शहर का नाम पहले खिड़की था मगर 1626 में Malik Amber के बेटे fateh Khan ने अपने अब्बा के मरने के बाद उसका नाम Fatehpur रख दिया।
1653 में औरंगज़ेब ने जब दक्कन पर हमला कर उसे हथियाया, तब जा कर उसका नाम Aurangabad पड़ा। तब से लेकर अब तक Aurangabad को मुग़ल शासक Aurangzeb से मिलाया जाता रहा है। और आज कल तो हम अगर किसी ने Aurangzeb का नाम ले लिया तो बस वो इंसान ही बुरा है, कट्टर है। तब सोचिये एक जगह जिसे नाम कूद Aurangzeb दिया हो वो भी औरंगाबाद, वो कैसे विवाद से अछूती रह सकती है। इसके बाद बात ये भी है कि औरंगज़ेब ने Chhattrapati Shivaji Maharaj संभाजी को बेरहमी से मारने का फरमान भी जारी किया था। तो जो राज्य छत्रपति शिवाजी के नाम का दम भरता है, वो कैसे उस नाम को औरंगज़ेब के नाम क औरंगाबाद के ज़रिये ज़िंदा रख सकता है।
अब जानते हैं कि शिवसेना का औरंगाबाद का क्या कनेक्शन है?
1980 दशक के ख़त्म होते समय औरंगाबाद उन चंद बड़े शहरों में से एक था जिस पर सेना ने सत्ता के लिए अपनी नज़रें गढाईं थीं। और फिर औरंगाबाद में 30 फीसदी तो मुसलमान हैं। 1988 में दंगे हुए और करीब 25 लोग मारे गए। फिर क्या था, MCD चुनाव क़रीब थे, उसमें सेना जीत गई।
8 मई, 1988 में शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे ने घोषणा कर दी कि संभाजी महाराज के बाद औरंगाबाद का नाम पड़ेगा संभाजी नगर। 1995 में notification भी जारी कर दिया गया कि भाई नाम बदला जा रहा है। किसी को कोई गिला-शिकवा हो तो बताएं।
बस notification के आते ही AMC corporator मुश्ताक़ अहमद ने इसे कोर्ट में चुनौती देदी। मुश्ताक़ कांग्रेस से जुड़े हुए थे। हालाँकि याचिका को ख़ारिज कर दिया गे मगर हाँ, नाम बदलना भी अटक कर रह गया।
तो शिव सेना के दुश्मन भी कम नहीं। BJP तो है ही साथ में राज ठाकरे की Maharashtra Navnirman Sena भी उनकी हिंदूवादी पहचान से अलग हट कर काम करने के लिए आलोचना करते हैं। उनका कहना है कि बाला साहेब ने जो नींव राखी थी हिंदुत्व की, उसे अब फॉलो नहीं किया जा रहा।
2020 में भी ये मुद्दा उठा था। उस समय औरंगाबाद एयरपोर्ट का नाम बदलकर Chhatrapati Sambhaji Maharaj Airport रखने की बात चली थी। मगर केंद्र ने अभी तक इस पर मुहर नहीं लगाई है।
हालांकि सेना संभाजीनगर नाम ही अपनी रैलियों और राजनीति में इस्तेमाल करती आई है।
तो भाई ये थी औरंगाबाद का इतिहास और क्यों औरंगाबाद का नाम बदलीकरण शिवसेना का आखिरी दांव था जिसे वो हार गए। अब मिलूंगी अगले FYI में। अपना ख्याल रखें और सुनते रहे ABP Live Podcast की पेशकश -FYI
Host: @jhansiserani
Sound designing: @lalit1121992
























