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Chhattisgarh: हजारों गैलन पानी चढ़ाया फिर भी नहीं डूबा 13 वीं शताब्दी का प्राचीन शिवलिंग, तस्वीरों से जानिए जुड़वा मंदिर की अनोखी कहानी
सहसपुर जुड़वा मंदिर की अनोखी कहानी
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बेमेतरा सहसपुर का जुड़वा मंदिर वास्तुकला की नायाब धरोहर है. फणी नागवंशी राजाओं के शासनकाल में निर्मित जुड़वा मंदिर प्रतिनिधि स्मारकों में से एक है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कवर्धा के फणी नागवंशी राजाओं ने 13-14 वीं शताब्दी में बनवाया है. माना जाता है कि गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग कभी नहीं डूबा.
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आठ दशक पहले गांव में भीषण अकाल पडऩे पर सहसपुर, नवकेशा, लालपुर, लुक, बुंदेली, गाड़ाडीह सहित आसपास क्षेत्र के ग्रामीणों ने महा शिवरात्रि के दिन गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग को जल अभिषेक कर डूबाने का निर्णय लिया था. योजना के मुताबिक मंदिर परिसर से लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित जलाशय तक कतारबद्ध खड़े होकर जल अभिषेक किया. सुबह से शाम तक शिवलिंग पर हजारों गैलन जल चढ़ाया गया, लेकिन शिवलिंग को जल से डुबाने का प्रयास असफल रहा. हजारों गैलन पानी कहां गया किसी को पता नहीं चला. तब गांव वालों को यह लगा कि शिवजी को पानी से डुबाने का निर्णय एक अहंकार था.इसके बाद से गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग की आस्था बढ़ती चली आ रही है. तब से हर साल महाशिवरात्रि में मेला लगता है. आसपास के ग्रामीण शिवलिंग का जल अभिषेक करने पहुंचते हैं. परंपरा के मुताबिक अभी श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह से जलाशय तक कतारबद्ध खड़े होकर जलाशय के जल से शिवजी का अभिषेक करते हैं.
Published at : 01 Mar 2022 12:50 PM (IST)
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