US Visa Policy: ट्रंप का तुगलकी फरमान- 'विदेशियों का वीजा कर देंगे कैंसिल अगर...', क्या भारतीयों के लिए खतरा?
अमेरिका ने सोशल मीडिया पर अमेरिकी नागरिकों की अभिव्यक्ति को सेंसर करने की कोशिश करने वाले विदेशियों पर वीज़ा प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है.

US Visa Policy: अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने वीजा पॉलिसी में बड़ा बदलाव करने का ऐलान किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में एक ऐसी घोषणा की है, जो ग्लोबल डिजिटल पॉलिसी को एक नया मोड़ दे सकती है. अमेरिका में अब से अगर कोई विदेशी नागरिक अमेरिकी टेक कंपनियों (फेसबुक, ट्विटर) पर अमेरिकियों के सोशल मीडिया कमेंट को सेंसर करने का दबाव डालता है तो उस व्यक्ति का वीजा बैन कर दिया जाएगा.
मामले पर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिका में रहकर किसी भी पोस्ट पर किए गए कमेंट के खिलाफ विदेशी नागरिक अगर गिरफ्तारी या दंडात्मक कार्रवाई की धमकी देते हैं तो इसे नहीं माना जाएगा. अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अमेरिकी नागरिकों की ओर से की गई पोस्ट को लेकर अगर विदेशी सरकार या अधिकारी सेंसरशिप की मांग करते हैं तो उन्हें अमेरिका का वीजा नहीं दिया जाएगा.
क्या कहती है नई अमेरिकी नीति?
नई अमेरिकी नीति की मानें तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अमेरिका के मूल अधिकारों में से एक माना गया है. इस वजह से अगर कोई भी विदेशी अधिकारी अगर अमेरिकी सोशल मीडिया फर्मों पर कंटेंट हटाने या संशोधित करने का दबाव डालते हैं तो यह भी वीज़ा प्रतिबंध का आधार बनेगा. अमेरिकी नागरिकों पर उनके ऑनलाइन बयानों के लिए विदेशी न्यायिक कार्रवाई या गिरफ्तारी वारंट को दखल मानेगा.
किन देशों पर हो सकता है असर?
हालांकि इस बयान में किसी विशेष देश का नाम नहीं लिया गया, लेकिन हालिया वर्षों में यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, भारत और कई एशियाई देशों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के खिलाफ़ जुर्माने, नोटिस और प्रतिबंध लगाए हैं. भारत जैसे देशों में जब ट्विटर या फेसबुक पर राजनीतिक या धार्मिक टिप्पणियों को लेकर कानूनी कार्रवाई होती है और वह अमेरिकी नागरिकों से संबंधित पाई जाएगी तो ऐसी स्थिति में उन पर अमेरिका आने पर रोक लग सकती है.
अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का वैश्विक प्रभाव
अमेरिका का दुनिया के कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फर्म पर मालिकाना हक है, जिसमें Meta (मार्क जुकरबर्ग), X (Twitter) – एलन मस्क, YouTube – Google शामिल है. ये प्लेटफ़ॉर्म दुनिया के अधिकांश डिजिटल चीजों के आदान-प्रदान का आधार हैं. इस कारण, किसी एक देश की नीति या वैधानिक आदेश का अमेरिका में सीधा प्रभाव होता है.
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Source: IOCL























