अमरुल्ला सालेह ने बताया, अंदराब घाटी में भोजन, ईंधन नहीं ले जाने दे रहा तालिबान
अंदराब क्षेत्र में तालिबान और स्थानीय सेना के बीच संघर्ष हो रहा है. तालिबान अंदराब घाटी में भोजन और ईंधन नहीं जाने दे रहा है. घाटी में मानवीय स्थिति गंभीर बनी हुई है.
खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्ला सालेह ने उत्तरी बगलान प्रांत की अंदराब घाटी में गंभीर मानवीय स्थिति के बारे में जानकारी दी है, उन्होंने तालिबान पर इस क्षेत्र में मानवाधिकारों का उल्लघंन करने का भी आरोप लगाया है. यह आरोप उन्होंने तब लगाया है जब अंदराब क्षेत्र में तालिबान और स्थानीय सेना के बीच संघर्ष हो रहा है. तालिबान लड़ाकूओं को पंजशीर घाटी अपने पुराने और प्रसिद्ध विरोधी अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व में स्थानीय सेना से कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है.
तालिबान अंदराब घाटी में भोजन और ईंधन नहीं जाने दे रहा है. घाटी में मानवीय स्थिति गंभीर बनी हुई है. हजारों की संख्या में महिलाएं और बच्चे पहाड़ों की ओर भाग गए हैं. तालिबानी दो दिनों से बच्चों और बुजुर्गों का अपहरण कर उसे अपनी ढाल बना कर ईधर उधर घुम रहे हैं और घरों की तलाशी ले रहे है. यह सारी जानकारी अमरुल्ला सालेह ने ट्विटर के जरिए दी.
रविवार को कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने ट्विटर पर बताया था कि ड़ोसी अंदराब घाटी के दुर्गम क्षेत्रों में तालिबानी लड़ाके मुश्किल में फंस गए हैं जिसके कारण वे पंजशीर के प्रवेश द्वार के पास सैंकड़ो लड़ाकों को जमा कर दिया है. इस बीच सलांग हाईवे को भी उन्होंने बंद कर दिया है. हमें उम्मीद है हम इस संकट से जल्द उबर जाएंगे.
वहीं संयुक्त राष्ट्र की मानवीय एजेंसियां, अफगानिस्तान में तत्काल आवश्यक आपातकालीन आपूर्ति भेजने में असमर्थ है. वहा देश में दवाओं और अन्य सहायता आपूर्ति के बिना किसी रूकावट के वितरण की अनुमति के लिए तुंरत एक मानवीय एयरब्रिज बनाने की कॉल कर रही है.
WHO के क्षेत्रीय डायरेक्टर रिचर्ड ब्रेनन ने बताया कि देश में इस हफ्ते 500 टन मेडिकल सप्लाई आनी थी जिसे लाने में एजेंसी असमर्थ है. पिछले हफ्ते WHO ने काबुल, कुंडुंज और हेलमैंड प्रांत के अस्पतालों में ट्रॉमा और मेडिकल किट्स का वितरण किया था, जिससे यहां रह रहे हजारों लोगों के लिए जरूरत पड़ने पर हेल्थ सर्विस मिल सकें.
फिलहाल अफगानिस्तान में सबका ध्यान वहां रह रहे विदेशी नागरिक औऱ अफगानी नागिरकों को वहां से निकालना है. पर इसका यह मतलब नहीं है कि वहां की आबादी को नजरअंदाज कर दिया जाए.
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