Sri Lanka Crisis: प्रदर्शनकारियों पर हमले का मामला, पूर्व पीएम महिंदा राजपक्षे को मानवाधिकार आयोग ने किया तलब
Sri Lanka Crisis: मानवाधिकार आयोग ने पूर्व मंत्रियों नमल राजपक्षे, रोहिता अबेगुणवर्धना, जॉनसन फर्नांडो, कैबिनेट मंत्री रमेश पथिराना को भी अगले बुधवार को पेश होने के लिए तलब किया है.
Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग (HRCSL) ने पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) को 9 मई को कोलंबो (Colombo) में गाले फेस एंड टेम्पल ट्रीज़ (Galle Face and Temple Trees) पर प्रदर्शनकारियों (Protesters) पर हुए हमलों और उसके बाद की अशांति को लेकर बुलाने का फैसला किया है. आयोग इस संबंध में उनका बयान दर्ज करेगा. कोलंबो पेज के मुताबिक एचआरसीएसएल ने कहा कि पूर्व मंत्रियों नमल राजपक्षे, रोहिता अबेगुणवर्धना, जॉनसन फर्नांडो और कैबिनेट मंत्री रमेश पथिराना को भी अगले बुधवार को आयोग के समक्ष पेश होने के लिए तलब किया गया है.
इस बीच, अवंत-गार्डे के अध्यक्ष निसानका सेनाधिपति को सोमवार को मानवाधिकार आयोग के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया है. आयोग ने कहा कि निस्सांका सेनाधिपति को आयोग के समक्ष बुलाया गया है ताकि वे वातरेका जेल के कैदियों के एक समूह पर लगे आरोपों की जांच कर सकें, जो 9 मई को टेंपल ट्रीज में आयोजित एक राजनीतिक बैठक में शामिल थे. कोलंबो पेज के अनुसार, मानवाधिकार आयोग ने यह भी कहा कि पुलिस महानिरीक्षक और पश्चिमी प्रांत देशबंधु तेनाकून के प्रभारी वरिष्ठ पुलिस महानिरीक्षक को भी अगले गुरुवार को आयोग के समक्ष बुलाया जाएगा.
9 मई को किया गया था प्रदर्शनकारियों पर हमला
बता दें 9 मई को कोलंबो में गाले फेस में गोटा-गो-गामा और टेंपल ट्री के सामने मैना-गो-गामा में शांतिपूर्ण विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया था. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन 9 अप्रैल को शुरू हुआ और तब से यह 24 घंटे जारी है.
श्रीलंका ने कई हिंसक घटनाओं को देखा
श्रीलंका के प्रधानमंत्री के आवास के पास सरकार समर्थक समूह और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद द्वीप राष्ट्र ने कई हिंसक घटनाओं को भी देखा, जिसमें कई सांसदों के घरों को जलाना भी शामिल है.
वर्तमान में, श्रीलंका (Sri Lanka i) आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट (Economic Crisis) का सामना कर रहा है, जिसमें भोजन और ईंधन की कमी, बढ़ती कीमतों और बिजली कटौती से बड़ी संख्या में नागरिक (Citizens) प्रभावित हो रहे हैं.
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