'आखिर लादेन पाकिस्तान में क्यों छिपा था?' ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एस जयशंकर ने यूरोप को दी ये नसीहत
पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर को यूरोप ने जिस तरह दो देशों के बीच संघर्ष की तरह पेश किया, इसकी विदेश मंत्री ने आलोचना की. उन्होंने कहा कि इसे आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के रूप में देखा जाना चाहिए.

S Jaishankar on Pahalgam Terror Attack: विदेश मंत्री एस जयशंकर अभी यूरोपियन यूनियन (ईयू) के नेताओं से मुलाकात के लिए ब्रुसेल्स में हैं. उन्होंंने पश्चिमी देशों को नसीहत देते हुए कहा कि भारत की पाकिस्तान के खिलाफ की गई कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के रूप में देखा जाए ना कि दो देशों के बीच संघर्ष के रूप में.
यूरोपियन न्यूज वेबसाइट यूरैक्टिव से बात करते हुए विदेश मंत्री ने यूरोप की बदलती भू-राजनीति और भविष्य में बेहतर ईयू-भारत संबंधों की उम्मीदों पर भी बात की. भारत यूरोपीय यूनियन के साथ एक प्रमुख मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है क्योंकि भारत, रूस और चीन के बीच बढ़ते संबंधों के बीच अपनी साझेदारी में विविधता लाना चाहता है.
ओसामा को क्यों पाक में सेफ क्यों महसूस हुआ?- जयशंकर
पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर को लेकर यूरोप ने जिस तरह दो देशों के बीच संघर्ष की तरह पेश किया, इस पर विदेश मंत्री ने आलोचना की. इंटरव्यू के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि मैं आपको एक बात याद दिलाना चाहता हूं. ओसामा बिन लादेन नाम का एक आदमी था. वो वेस्ट प्वाइंट के ठीक बगल में एक पाकिस्तानी सैन्य शहर में वर्षों तक सुरक्षित क्यों रहा? मैं चाहता हूं कि दुनिया समझे कि यह केवल भारत-पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है. यह आतंकवाद के बारे में है, और यही आतंकवाद आपको (यूरोप) को भी सताएगा.
रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या बोले जयशंकर?
रूस और यूक्रेन को लेकर जब पूछा गया कि यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर प्रतिबंध लगाने में भारत यूरोपीय संघ और अन्य पश्चिमी देशों के साथ क्यों नहीं शामिल हुआ तो विदेश मंत्री ने भारत के रुख को दोहराते हुए कहा कि युद्ध के माध्यम से शांति नहीं आ सकती. उन्होंने कहा कि हम नहीं मानते कि मतभेदों को युद्ध के ज़रिए सुलझाया जा सकता है, हम नहीं मानते कि युद्ध के मैदान से कोई समाधान निकलेगा.
कैसे खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध? जयशंकर ने बताया
एस जयशंकर ने कहा कि यह तय करना हमारा काम नहीं है कि समाधान क्या होना चाहिए. मेरा कहना यह है कि हम निर्देशात्मक या निर्णायक नहीं हैं, हम इसमें शामिल नहीं हैं. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के यूक्रेन और रूस दोनों के साथ मजबूत संबंध हैं, लेकिन याद दिलाया कि जब पाकिस्तान ने आजादी के बाद भारत पर आक्रमण किया था तो पश्चिमी देश इस्लामाबाद के साथ खड़े थे.
उन्होंने कहा कि स्वभाविक रूप से हर देश अपने अनुभव इतिहास और हितों पर विचार करता है. भारत की सबसे पुरानी शिकायत है कि आजादी के कुछ ही महीनों बाद हमारी सीमाओं का उल्लंघन किया गया, जब पाकिस्तान ने कश्मीर में आक्रमणकारियों को भेजा और वे देश जो इसका सबसे ज़्यादा पाकिस्तान का समर्थन कर रहे थे वो यूरोप के देश थे.
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Source: IOCL





















