क्या यूक्रेन के हमले का इन घातक हथियारों से जवाब देगा रूस? पलभर में मचा सकते हैं तबाही
Russia Ukraine war: रूस के पास कई ऐसी घातक मिसाइलें हैं जो कि यूक्रेन को तबाह कर सकती हैं, लेकिन रूस ने अभी तक इनका इस्तेमाल नहीं किया है.

Russia Ukraine war: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अभी तक खत्म नहीं हुआ है. यूक्रेन ने हाल ही में रूस के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है. उसने रूस के पांच एयरबेस तबाह करने का दावा किया है. रूस अब यूक्रेन के ड्रोन अटैक का करारा जवाब दे सकता है. उसके पास कई ऐसे घातक हथियार हैं, जिनका अभी तक इस्तेमाल नहीं हुआ है. रूस चाहे तो पलभर में यूक्रेन के बड़े हिस्से को धमाकों की ज़द में ले सकता है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया है.
रूस के पास कई सुपर हथियार हैं, जिनमें अवनगार्ड, पोसाइडन, सरमत और बुरेवेस्तनिक शामिल हैं. ये ऐसी मिसाइलें हैं जो टारेगट को बिना किसी गलती के पलक झपकते ही भेदने की क्षमता रखती हैं. रूस ने अभी तक यूक्रेन के खिलाफ इनका इस्तेमाल नहीं किया. इसको लेकर किसी तरह की आधिकारिक पुष्टि भी नहीं हुआ है. हालांकि यह जरूर है कि उसने किंझल का इस्तेमाल किया है.
रूस की सबसे घातक मिसाइलें -
- Kh-47M2 किंझल - यह रूस के सबसे खतरनाक हथियारों में से एक है. किंझल हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल है जो कि फाइटर एयरक्राफ्ट से लॉन्च होती है. इसकी रेंज 2000 किलोमीटर है. वहीं स्पीड 12348 किलोमीटर प्रति घंटे की है.
- RS-28 सरमत - यह एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी रेंज 18000 किलोमीटर है. यह 10 से 15 परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता रखती है.
- एवनगार्ड हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल - यह रूस की सबसे घातक मिसाइलों में से एक मानी जाती है. इसकी स्पीड मैक 27 यानी कि करीब 32200 किलोमीटर प्रति घंटे की है. सबसे खास बात यह है कि ये रडार से बचने में माहिर है.
- 9M730 बुरेवेस्तनिक - यह परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल है. दावा किया जाता है कि यह हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है. इसे फ्लाइंग चेर्नोबिल भी कहा जाता है.
रूस क्यों यूक्रेन के खिलाफ घातक मिसाइलों का नहीं कर सका है इस्तेमाल
ICANW की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के पास 5449 परमाणु हथियार हैं, लेकिन वह अभी तक यूक्रेन के खिलाफ किसी बड़े हथियार का इस्तेमाल नहीं कर सका है. इसके कई कारण हैं. अगर रूस ने यूक्रेन के खिलाफ घातक मिसाइलों का इस्तेमाल किया तो उस पर वैश्विक दबाव बढ़ सकता है. अमेरिका भी उसके खिलाफ खड़ा हो सकता है.
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Source: IOCL






















