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यूक्रेन ने अपनाई 'ट्रोजन-हॉर्स' रणनीति, रूस पर कर डाला पर्ल-हार्बर जैसा हमला, जानें क्यों भारत के लिए है सबक

Russia-Ukraine War: यूक्रेन ने रूस के खिलाफ ट्रोजन हॉर्स रणनीति अपनाते हुए ड्रोन और ट्रकों के जरिए बड़ा हमला किया है. इस हमले के बाद भारत को भी सतर्क रहने की जरूरत है.

Russia-Ukraine War: ग्रीक की पौराणिक कथाओं में ट्रोजन हॉर्स यानी लकड़ी के एक विशाल घोड़े का जिक्र मिलता है. इस घोड़े में छिपकर ग्रीक सैनिकों ने ट्रॉय शहर में घुसपैठ की थी. लकड़ी का ये बड़ा घोड़ा अंदर से खोखला था, जिसके भीतर सैनिक छिपे थे और उन्होंने धोखे से ट्रॉय शहर में घुसकर कब्जा कर लिया था.

यूक्रेन ने रूस पर भी इसी ट्रोजन-हॉर्स रणनीति का इस्तेमाल करके ट्रकों में ड्रोन ले जाकर बड़ा हमला किया है. यह हमले भारत जैसे देशों के लिए भी खतरे की बात है क्योंकि भारत में नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से बहुत सारे ट्रक और गाड़ियां व्यापार के लिए आती हैं. कुछ साल पहले तक पाकिस्तान से भी ट्रक लेकर सामान पंजाब के अटारी-वाघा बॉर्डर और जम्मू-कश्मीर आता था.

रविवार को यूक्रेन ने रूस के पांच अलग-अलग इलाकों में बहुत सारे एफपीवी ड्रोन से हमला किया. स्वार्म ड्रोन यानी ड्रोन के झुंडों ने रूस के चार बड़े और महत्वपूर्ण एयरबेस को बहुत नुकसान पहुंचाया. ये ड्रोन रूस के अंदर 600 किलोमीटर तक दूर जाकर हमला कर सके. यूक्रेन की खुफिया एजेंसी एसबीयू ने पिछले डेढ़ साल से इस हमले की तैयारी की थी.
 
ग्रीस की पौराणिक कथा से ली हमले की प्रेरणा  

ग्रीस की विश्व-प्रसिद्ध पौराणिक कथा, ट्रोजन-हॉर्स से प्रेरणा लेते हुए यूक्रेन ने इन ड्रोन को रूस के भीतर पहुंचा दिया. यूक्रेन को पता था कि सीमावर्ती एयर-स्पेस में रूस का एयर-डिफेंस बेहद मजबूत है. ऐसे में बॉर्डर एरिया से बड़ी संख्या में ड्रोन को फ्लाई कर रूस के एयरबेस तक अटैक करने के लिए पहुंचाना टेढ़ी खीर हो सकती है. ऐसे में यूक्रेनी इंटेलिजेंस एजेंसी ने सड़क के रास्ते बड़ी संख्या में सिविलयन ट्रकों को रूस के पांच अलग-अलग प्रांतों में पहुंचा दिया.

यूक्रेन के इन ट्रकों में फाल्स-सीलिंग तैयार की गई. इन फाल्स सीलिंग में यूक्रेन ने स्वार्म ड्रोन छिपाकर रख दिए थे. ये ड्रोन, बम और दूसरे एक्सप्लोजिव मटेरियल से लैस थे. बॉर्डर पुलिस को गच्चा देकर यूक्रेन ने इन ट्रकों को रूस के चार स्ट्रेटेजिक एयरबेस के करीब ले जाकर खड़ा कर दिया. फिर रिमोट के जरिए दूर से ही ट्रकों की सीलिंग खोलकर स्वार्म ड्रोन्स से रूसी एयरबेस पर खड़े स्ट्रेटेजिक बॉम्बर्स पर हमला कर दिया. ड्रोन अटैक में रूस के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम विमान धूधू कर जल उठे.  रूस के पांच अलग-अलग एयरबेस पर एक ही मोडस-ऑपरेंडी के जरिए हमले किए गए. यूक्रेन ने इस ऑपरेशन को स्पाइडर-वेब नाम दिया है. 

पांच मिलिट्री एयरफील्ड पर हुआ हमला  

ग्रीस की मशहूर कहानी ट्रोजन-हॉर्स से प्रेरणा लेकर यूक्रेन ने ड्रोन को रूस के अंदर भेजा. यूक्रेन को पता था कि सीमा के पास रूस का हवाई रक्षा सिस्टम बहुत मजबूत है इसलिए सीधे ड्रोन उड़ाकर रूस के एयरबेस तक पहुंचाना मुश्किल था. इस वजह से यूक्रेन की खुफिया एजेंसी ने सड़क के रास्ते बहुत सारे सिविलियन ट्रकों को रूस के पांच अलग-अलग इलाकों में भेजा.

इन ट्रकों की बाहर से सीलिंग (ढक्कन) को धोखा देने वाला बनाया गया था. ट्रकों के अंदर ड्रोन छिपाए गए थे, जिनमें बम और विस्फोटक सामग्री भी थी. बॉर्डर पुलिस को धोखा देकर यूक्रेन ने इन ट्रकों को रूस के चार बड़े और महत्वपूर्ण एयरबेस के पास खड़ा कर दिया. फिर दूर से रिमोट कंट्रोल से ट्रकों की सीलिंग खोलकर ड्रोन को छोड़ा गया और ड्रोन ने रूसी एयरबेस पर खड़े बॉम्बर्स पर हमला किया. इस ड्रोन हमले में रूस के परमाणु हथियार ले जाने वाले विमान जल गए. रूस के पांच अलग-अलग एयरबेस पर एक ही तरह के हमले किए गए. यूक्रेन ने इस ऑपरेशन का नाम "स्पाइडर-वेब" रखा है.

रूस के 40 स्ट्रेटेजिक बॉम्बर्स को किया तबाह

रूस ने खुद माना है कि यूक्रेन के हमले में पांच मिलिट्री एयरफील्ड को नुकसान हुआ है. ये एयरफील्ड मुरमांस्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रेयजन और अमुर इलाके में हैं. रूस का कहना है कि इवानोवो, रेयजन और अमुर में आने वाले सभी एफपीवी (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन को रोक लिया गया था, लेकिन मुरमांस्क और इरकुत्स्क में कई हवाई जहाज नुकसान में आए हैं. रूस का दावा है कि इन हमलों में कोई सैनिक घायल या मारा नहीं गया है. रूस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है.

यूक्रेन ने इस हमले के दौरान रूस के एक न्यूक्लियर सबमरीन बेस के पास भी हमला किया. इसके अलावा, कुर्स्क और ब्रायेंस्क इलाके में यूक्रेन ने बम गिराकर रूस के रेलवे ब्रिज को तोड़ दिया, जिससे दो बड़े ट्रेन हादसे हुए.

जानें क्या है पर्ल हार्बर अटैक


दिसंबर 1941 में हुआ पर्ल हार्बर हमला, द्वितीय विश्व युद्ध की एक बहुत बड़ी घटना थी, जो आज भी इतिहास में याद की जाती है. जापान ने सुबह 7 बजकर 48 मिनट पर अचानक हवाई हमला किया. यह हमला हवाई द्वीप के ओआहू पर स्थित अमेरिकी नौसेना के पर्ल हार्बर बेस पर किया गया था. इस हमले में जापान की नेवी के 177 हवाई जहाजों ने बेस को निशाना बनाया था.

चार बड़े युद्धपोतों को बनाया था निशाना 

जापान का मकसद था कि अमेरिकी नौसेना की पैसिफिक फ्लीट को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जाए, ताकि उसी दिन दक्षिण-पूर्व एशिया में ब्रिटिश, डच और अमेरिकी इलाकों पर जापान के हमलों को रोका न जा सके. पहले हमले में उन्होंने हैंगर पर बम गिराए और पार्क किए गए हवाई जहाजों को निशाना बनाया. साथ ही हार्बर में मौजूद अमेरिकी युद्धपोतों पर टॉरपीडो भी दागे गए. हमले के पहले पांच मिनट में चार बड़े युद्धपोतों को निशाना बनाया गया, जिनमें यूएसएस ओक्लाहोमा और यूएसएस एरिजोना शामिल थे. कुछ ही समय बाद एरिजोना में एक बम बारूद के गोदाम पर गिरा, जिससे जहाज डूब गया और 1,177 क्रू मेंबर्स की मौत हो गई.

यह हमला यहीं खत्म नहीं हुआ. एक घंटे बाद जापान के 163 और हवाई जहाजों ने दूसरा हमला किया. दो घंटे के अंदर 21 अमेरिकी युद्धपोत डूब गए या क्षतिग्रस्त हो गए, 188 हवाई जहाज तबाह हो गए और 2,403 अमेरिकी सैनिक और महिलाएं मारे गए. इनमें से कई जहाजों की मरम्मत की गई और बाद में युद्ध में उनका इस्तेमाल भी हुआ.

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