Pakistan News: पैसे बचाने के लिए कंगाल पाकिस्तान की नई तरकीब, अब 'रेड कारपेट' के इस्तेमाल पर लगाई रोक
Pakistan News: इस समय पाकिस्तान अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकटों का सामना कर रहा है. इसे लेकर पहले पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने वेतन और भत्ते नहीं लेने का फैसला किया था.
Pakistan Government Ban Red Carpet: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश में आर्थिक संकट के चलते फिजूलखर्ची को कम करने के प्रयासों के तहत सरकारी कार्यक्रमों में रेड कारपेट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है और केवल राजनयिकों के स्वागत कार्यक्रम में ही इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा.
रेड कारपेट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सरकारी कार्यक्रमों में मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के दौरे के दौरान रेड कारपेट के इस्तेमाल पर नाराजगी व्यक्त की. मंत्रिमंडल मामलों के प्रभाग के मुताबिक प्रधानमंत्री के निर्देश पर रेड कारपेट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है.
प्रभाग की अधिसूचना के अनुसार प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया है कि भविष्य में सरकारी कार्यक्रमों में मंत्रियों और अधिकारियों के लिए रेड कारपेट का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार हालांकि, इसका इस्तेमाल केवल विदेशी राजनयिकों के लिए एक प्रोटोकॉल के रूप में किया जा सकेगा.
फिजूलखर्ची को कम करने है प्रयास
फिजूलखर्ची को कम करने के प्रयासों के तहत पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और मंत्रिमंडल के सदस्यों ने अपनी इच्छा से वेतन और भत्ते नहीं लेने का फैसला किया था.
रेड कारपेट के इस्तेमाल को समाप्त करके, सरकार का लक्ष्य धन बचाना और सार्वजनिक खर्च के लिए अधिक जिम्मेदार और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है. पिछले महीने, प्रधानमंत्री ने कहा कि मितव्ययिता उपाय सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है.
इससे पहले, पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने देश के सामने मौजूद आर्थिक चुनौतियों के कारण वेतन और भत्ते नहीं लेने का फैसला किया था.
खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा पाकिस्तान
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने कहा है कि पाकिस्तान को 2023 में अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकटों में से एक का सामना करना पड़ा, जिसमें गरीबी, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी बढ़ गई, जिससे लाखों लोगों के स्वास्थ्य, भोजन और पर्याप्त जीवन स्तर के अधिकार खतरे में पड़ गए.
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