भारत संग लिपुलेख के मुद्दे पर नेपाल के पीएम की जिनपिंग ने कर दी बोलती बंद, शिकायत को लेकर बोले- खुद सुलझाएं
Nepal China News: एससीओ बैठक के दौरान लिपुलेख दर्रे को व्यापार मार्ग के रूप में विकसित करने के भारत-चीन समझौते पर नेपाल ने आपत्ति जताई थी. चीन ने इसे द्विपक्षीय बताकर खुद सुलझाने की बात कही.

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हाल ही में संपन्न हुए एससीओ शिखर सम्मेलन में लिपुलेख का मुद्दा उठाया. उन्हें उम्मीद थी कि इस पर शी जिनपिंग उनका साथ देंगे, लेकिन चीनी राष्ट्रपति ने ऐसा रिप्लाई दिया जिससे केपी शर्मा ओली सदमे में आ गए. उत्तराखंड की सीमा पर स्थित लिपुलेख दर्रे के जरिए भारत-चीन में ट्रेड को लेकर सहमति बनी है. इससे नेपाल नाराज है.
चीन ने लिपुलेख को बताया द्विपक्षीय मुद्दा
शी जिनपिंग ने केपी शर्मा ओली से दो टूक कहा कि लिपुलेख का मुद्दा भारत और नेपाल के बीच का है, जिसमें चीन दखल नहीं देगा. उन्होंने दो टूक कहा कि इस मुद्दे को भारत और नेपाल को ही सुलझाने होंगे. केपी ओली ने शनिवार (31 अगस्त 2025) को बताया कि उन्होंने एससीओ बैठक के दौरान लिपुलेख दर्रे को व्यापार मार्ग के रूप में विकसित करने के भारत-चीन समझौते पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की.
चीन ने नेपाल के पीएम की कर दी बोलती बंद
नेपाल के दूतावास ने लिपुलेख दर्रे का जिक्र करते हुए कहा कि यह इलाका नेपाल का है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल के विदेश सचिव अमृत बहादुर राय ने जानकारी दी कि लिपुलेख मुद्दे को लेकर शी जिनपिंग और केपी ओली के बीच क्या बातचीत हुई थी. नेपाली विदेश सचिव के मुताबिक शी जिनपिंग ने कहा, "लिपुलेख एक बॉर्डर पास है, जिसके संचालन के लिए पहले ही एक समझौता किया गया है. चीन नेपाल के दावे का सम्मान करता है, लेकिन यह भारत और नेपाल के बीच का सीमा विवाद है इसलिए यह द्विपक्षीय मुद्दा है. दोनों देशों को आपस में इस मुद्दे को सुलझाना होगा."
नेपाल ने साल 2020 में कोविड के समय एक नया नक्शा जारी कर लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को अपना इलाका बताया था, जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया था. साल 2023 में नेपाल के इस नक्शे को चीन ने स्वीकार करने से मना कर दिया.
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