Iran Israel War: मिडिल ईस्ट में छिड़ जाएगा महासंग्राम? इजरायल का इंतकाम, कितना विनाशकारी होगा अंजाम
Iran Israel Crisis: ईरान की तरफ से मंगलवार (2 अक्टूबर 2024) को किए गए मिसाइल हमलों ने तनाव को बढ़ा दिया है. इजरायल ने हमले के बाद कहा था कि वह इसका जवाब जरूर देगा और ईरान को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.
Iran Israel Conflict: ईरान की तरफ से इजरायल पर किए गए मिसाइल हमले और इसके बाद इजरायल के पीएम नेतन्याहू की तरफ से बड़ी कीमत चुकाने की धमकी ने मिडिल ईस्ट में बड़े संघर्ष को जन्म दे दिया है. इजरायल का कहना है कि वह हर हाल में इन हमलों का बदला लेगा, जबकि ईरान कह रहा है कि वह अपनी रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और हमले के लिए तैयार है.
इन सबके बीच अमेरिका ने भी इजरायल का साथ देने की बात कहकर युद्ध की आशंकाओं को और बढ़ा दिया है. हालांकि चीन ने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में दखल देने और संघर्ष को खत्म करने की अपील की है, लेकिन स्थिति नियंत्रित होती नहीं दिख रही. अब बड़ा सवाल ये है कि क्या इजरायल का अगला निशाना ईरान होगा, अगर हां, तो इसका अंजाम कितना विनाशकारी होगा... यहां हम हर एक पॉइंट पर करेंगे विस्तार से बात.
क्या हो सकता है असर
1. क्षेत्रीय युद्ध में बदल जाएगा संघर्ष
एक्सपर्ट की मानें तो अगर ईरान और इजरायल के बीच अगर संघर्ष को जल्द खत्म नहीं किया गया तो इसका असर आसपास के देशों पर भी पड़ेगा. जिससे व्यापक सैन्य संघर्ष की स्थिति बन सकती है. अगर ईरान के समर्थन में कुछ और देश आते हैं तो यह एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध का रूप ले लेगा.
2. कच्चे तेल की कीमतें हो सकती हैं प्रभावित
अगर ईरान और इजरायल में युद्ध होता है तो यह सिर्फ मिडिल ईस्ट को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर प्रभाव डाल सकता है. दरअसल, युद्ध की स्थिति में अरब के और भी देश इसमें जुड़ सकते हैं. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत पर बड़ा असर पड़ेगा.
3. युद्ध का असर यूरोप तक भी
एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर एक बार युद्ध शुरू हो गया तो असर यूरोप तक दिख सकता है. वह कहते हैं कि अमेरिका ईरान के खिलाफ इजरायल का साथ देने की बात कह चुका है. ऐसी स्थिति में अगर अमेरिका युद्ध में आता है तो उसके साथ यूरोप के देश भी आ जाएंगे.
4. गल्फ वॉर की आशंका
विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध की स्थिति में वैश्विक आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है, जिससे गल्फ वॉर की आशंका बढ़ जाएगी. गल्फ के देशों की तेल आपूर्ति और वैश्विक बाजार पर इसका सीधा असर पड़ेगा. दरअसल, गल्फ क्षेत्र के अन्य देशों जैसे सऊदी अरब, कुवैत, ओमान, और संयुक्त अरब अमीरात भी इससे प्रभावित हो सकते हैं.
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