(Source: ECI | ABP NEWS)
India Vs Bhutan: भूटान का हर शख्स भारतीयों से कमाता है ज्यादा, आंकड़े सुनकर पकड़ लेंगे माथा
भूटान की तुलना में भारत की प्रति व्यक्ति आय भले कम हो, लेकिन आर्थिक क्षमता भारत की कहीं अधिक है. भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती है अपने संसाधनों और जनसंख्या के बीच संतुलन बनाना.

भारत को अपने पड़ोसी मुल्क भूटान से प्रति व्यक्ति आय (GDP) के मामले में काफी पीछे है. World of Statistics की रिपोर्ट के मुताबिक भूटान की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति आय (GDP) महज 2,878 डॉलर है यानी 2 लाख 54 हजार. वहीं भूटान में प्रति व्यक्ति आय (GDP) 4,302 डॉलर है, यानी 3 लाख 81 हजार है. इस हिसाब से भूटान में प्रति व्यक्ति आय भारत की तुलना में लगभग 1 लाख 30 हजार से ज्यादा है.
किसी देश की अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत या कमजोर है, इसका सबसे बड़ा साइन उसका सकल घरेलू उत्पाद (GDP) होता है. सरल शब्दों में, जीडीपी उस कुल मूल्य को दर्शाती है जो किसी देश की सीमा के अंदर एक निश्चित समय अवधि (आमतौर पर एक साल या तिमाही) में सभी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन से प्राप्त होता है. इसे किसी देश की आर्थिक सेहत का आईना कहा जा सकता है, जितनी अधिक जीडीपी, उतनी ही बेहतर आर्थिक स्थिति.
क्या है GDP?
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) यानी Gross Domestic Product वह कुल मौद्रिक या बाजार मूल्य है जो किसी देश में एक निर्धारित अवधि के दौरान उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं से प्राप्त होता है. भारत में जीडीपी की गणना सालाना और तिमाही, दोनों आधार पर की जाती है. जीडीपी के आंकड़े हमें बताते हैं कि देश में उद्योग, कृषि और सेवा क्षेत्र किस गति से आगे बढ़ रहे हैं.
GDP में कौन से क्षेत्र शामिल है?
पहले जीडीपी में केवल कृषि और उद्योग क्षेत्र का योगदान मापा जाता था, लेकिन अब इसमें सेवा क्षेत्र (Service Sector) जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग, आईटी और टेलीकॉम जैसी सेवाओं को भी शामिल कर लिया गया है. इससे देश की आर्थिक गतिविधियों का और अधिक सटीक जानकारी सामने आती है.
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन इसकी विशाल जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति आय कम दिखाई देती है, जब कुल GDP को अरबों लोगों में बांटा जाता है, तो औसत आय का आंकड़ा कम हो जाता है. भारत में तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या, शिक्षा और रोजगार में असमानता और ग्रामीण-शहरी अंतर जैसे कारण आर्थिक संतुलन को प्रभावित करते हैं. हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है. आईटी, निर्माण, कृषि और सेवा क्षेत्र में सुधार से आने वाले वर्षों में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की उम्मीद है.
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