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Explained: गाजा में इजराइल ने फिलिस्तीनियों को कैसे किया तबाह, आखिर क्या है पूरा विवाद

Israel Vs Palestine: इजराइल एक बार फिर गाजा पट्टी में आसमान से बम बरसा रहा है, जिसके चलते बच्चों और महिलाओं समेत कई लोगों की मौतें हो रही है.

Israel Palestine Conflict: इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष एक बार फिर तेज हो गया है. इजराइली वायुसेना गाजा पट्टी (Gaza Strip) पर बम बरसा रही है तो जवाब में फिलिस्तीन भी इजरायल पर मिसाइल छोड़ रहा है. इसमें ज्यादा नुकसान फिलिस्तीन को उठाना पड़ रहा है क्योंकि इजराइल के आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम (Iron Dome Missile Defence System) फिलिस्तीनी मिसाइलों को आसमान में ही पटाखों की तरह फोड़ देता है और अपनी तरफ नहीं आना देता है. वहीं, गाजा पट्टी में इजराइल के ताजा हवाई हमलों में अब तक 31 फिलिस्तीनियों की जान चली गई है जबकि ढाई सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. मरने वालों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं.

इजराइली हमलों में फिलिस्तीनी सुन्नी-इस्लामी कट्टरपंथी संगठन हमास (Hamas) के एक वरिष्ठ कमांडर तायसीर अल जबारी (Taysir Al Jabari) के मारे जाने की भी खबर है. जबारी के मारे जाने की जानकारी फिलिस्तीनी अधिकारियों ने दी. फिलिस्तीन इजराइल के खिलाफ इस्लामिक जिहाद अभियान चलाता है. इस्लामिक जिहादियों को इजराइल आतंकवादी करार देता है और उन्हें चुन-चुनकर मारता है. 

गाजा की भौगोलिक स्थिति

गाजा पांच प्रशासनिक क्षेत्रों में बंटा हुआ है. इनमें उत्तरी गाजा, गाजा सिटी, देर अल-बलाह, खान यूनिस और राफाह प्रशासनिक क्षेत्र शामिल हैं. भूमध्यसागरीय तट पर इजराइल और मिस्र की सीमा पर से लगी गाजा पट्टी का क्षेत्रफल लगभग 365 वर्ग किलोमीटर है. गाजा पट्टी दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक है. इसकी आबादी 21 लाख की बताई जाती है. फिलिस्तीन का यह इलाका 15 वर्षों से इजराइल की समंदर, भूमि और वायु नाकाबंदी के अधीन है.

15 सालों में चार युद्ध छेड़ फिलिस्तीनियों को तबाह करता आ रहा है इजराइल

2008 से इजराइल फिलिस्तीन के इलाके में चार बार युद्ध छेड़ चुका है, जिनमें हजारों लोग, ज्यादातर आम नागरिक मारे गए. 2008-9 का युद्ध 23 दिन तक चला था, 2012 का आठ दिन, 2014 का 50 दिन और 2021 का युद्ध 11 दिन तक चला था.  2008 के युद्ध में रॉकेट हमले किए गए, जिनमें फिलिस्तीन के 1400 लोग मारे गए और इजराइल के 13 की जान गई. 2012 में इजराइल ने हमास के मिलिस्ट्री चीफ ऑफ स्टाफ अहमद जबारी को आठ दिन तक फिलिस्तीन में चले हवाई हमले में मार गिराया. 

2014 में तीन इजराइली किशोरों को हमास मे किडनैप कर लिया था, नतीजतन सात हफ्तों तक युद्ध चला, जिसमें गाजा में 2100 से ज्यादा लोग मारे गए थे. मारे गए लोगों में 67 सैनिक और 73 इजराइली लोग भी शामिल थे. 2018 में फिलिस्तीनियों ने गाजा में लगाई गई बाड़ वाले बॉर्डर पर प्रदर्शन किया. इजराइली सेना ने उन्हें वापस भेजने के लिए हमला कर दिया. हमास और इजराइली बलों के बीच लड़ाई को देखते हुए कई महीनों चले विरोध प्रदर्शन में 170 फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए थे. 

2021 में येरुशलम में अल अक्सा मस्जिद परिसर को लेकर इजराइल और हमास में जंग छिड़ गई. अल अक्सा मस्जिद परिसर में इजराइली सुरक्षा बलों द्वारा सैकड़ों फिलिस्तीनियों को घायल करने का आरोप लगा था. हमास ने इजराइल से परिसर से सुरक्षा बलों को हटाने के लिए कहा था. इसके जवाब में इजराइल ने गाजा पट्टी में हवाई हमले किए. गाजा से भी इजराइल की तरफ से रॉकेट छोड़े गए. 11 दिनों तक चली जंग में गाजा में फिलिस्तीन के 260 और 13 इजराइली लोग मारे गए. अब इस महीने की शुरुआत में एक बार फिर इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष जोर पकड़ रहा है. इजराइल ने अब तक तीस से ज्यादा फिलिस्तीनियों को हवाई हमले में मार डाला है. इजराइली हमलों के कारण गाजा पट्टी में इमारतों, अस्पतालों और शिक्षण संस्थानों को भी भारी नुकसान पहुंचा है. 

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क्या है विवाद?

19वीं सदी में इजराइल वाली पूरी भूमि फिलिस्तीन के नाम से जानी जाती थी. यहूदी यूरोप मे बिखरे हुए थे, उनका काफी शोषण हुआ. यहूदियों ने फिलिस्तीन की ओर पलायन करने के लिए जियोनिस्ट आंदोलन शुरू किया. ब्रिटिश शासन की चालबाजियां भी रहीं. धीरे-धीरे फिलिस्तीन के इलाके में यहूदियों की संख्या में इजाफा होने लगा और उन्होंने वहां पर जमीनें खरीदना शुरू कर दिया. यहूदियों की संख्या बढ़ने और उनके द्वारा वहां पर जमीनें खरीदने के कारण उनका वर्चस्व बढ़ता गया. इसके बाद यहूदियों ने फिलिस्तीनियों को खदेड़ना शुरू कर दिया. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर के शासन 42 लाख यहूदी गैस चैंबर डालकर मार दिए गए. तब यहूदियों को लगा कि उनके लिए फिलिस्तीन से सुरक्षित जगह कोई नहीं है.

दूसरे विश्व युद्ध के बाद यहूदियों और फिलिस्तीनियों का मामला नए अस्तित्व में आए संयुक्त राष्ट्र में चला गया. वहां से फैसला किया गया कि जहां यहूदियों की संख्या ज्यादा है, उसे इजराइल दे दिया जाए और बाकी बचे अरब बहुसंख्यकों को फिलिस्तीन सौंप दिया जाए. येरुशलम में दोनों पक्षों की लगभग बराबर आबादी थी तो संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि वहां अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण कानून लागू होगा. इसके बाद नए बने इजराइल का पड़ोसी देशों से युद्ध हुआ, नतीजतन पूरे वेस्ट बैंक पर जॉर्डन का कब्जा हो गया और गाजा पट्टी मिश्र के अधिकार में चली गई. कुछ जगह फिलिस्तीन की बची थी, उसे इजराइल ने कब्जा लिया.

युद्ध के परिणामस्वरूप इजराइल ने फिलिस्तीन के पचास फीसदी हिस्से को कब्जा लिया और सात लाख फिलिस्तीनियों को देश छोड़ शरणार्थी बनना पड़ा. 1967 में इजराइल और पड़ोसी देशों में फिर युद्ध हुआ, जिसके बाद इजराइल ने मिश्र से गाजा पट्टी और जॉर्डन से वेस्ट बैंक छीन लिया. 1993 में ओसलो एकोर्ड समझौता हुआ, जिसके तहत निर्णय हुआ कि फिलिस्तीन इजराइल को अंतर्राष्ट्रीय देश के रूप में स्वीकार करेगा और बदले में वह वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी को लोकतांत्रिक तरीके नियंत्रित करेगा. समझौता पांच साल के लिए किया गया था, दोबारा नहीं हो सका. इसके बाद कई हिंसक झड़पें हुईं और फिलिस्तीन को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा.

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