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महज 17 साल बाद उल्टी दिशा में घूमने लगेगी धरती? स्टडी में Earth से जुड़े रहस्य को लेकर बड़ा खुलासा

Study on Earth: नेचर जियोसाइंस (Nature Geoscience) की एक रिपोर्ट के मुताबिक धरती का आंतरिक कोर (Earth Core) अपने घूमने की दिशा बदल सकता है. अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा? आइए जानते हैं...

Scientist Study on Earth: ब्रह्मांड से जुड़े कई रहस्य आज भी अनसुलझे हैं. धरती को लेकर भी कई सवाल लोगों को सोचने के लिए मजबूर करते हैं और वैज्ञानिक इस पर लगातार शोध कर रहे हैं. धरती (Earth) का भीतरी हिस्सा गर्म और ठोस लोहे से बना है. धरती का केंद्र घूम रहा है. इसी के कारण पृथ्वी का मैग्नेटिक फील्ड  (Magnetic Field) बनता है. अगर ये घुमाव कुछ देर ठहर जाए और फिर दूसरी दिशा में पलट जाए तो क्या संभावना बन सकती है. क्या इससे धरती पर भयंकर भूकंप आएंगे और तबाही मच जाएगी?

वैज्ञानिकों के हाल के एक अध्ययन से पता चलता है कि पृथ्वी का आंतरिक कोर घूमना बंद कर सकता है और फिर धरती विपरीत दिशा में घूमने लग सकती है.

क्या उल्टी दिशा में घूमने लगेगी धरती?

वैज्ञानिकों की टीम ने दावा किया है कि धरती का कोर (Earth Core) अपने घूमने की दिशा बदल सकता है. नेचर जियोसाइंस (Nature Geoscience) की एक रिपोर्ट के मुताबिक धरती के केंद्र में घूमने की दिशा में करीब हर 70 साल के बाद बदलाव देखा जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक अब ऐसा माना जा रहा है कि 17 साल में यह बदलाव होगा और धरती का केंद्र उल्टी दिशा में घूमने लगेगा. 

नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित शोध

सोमवार को नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित शोध में पेकिंग यूनिवर्सिटी के सहयोगी अनुसंधान वैज्ञानिक यी यांग और पेकिंग यूनिवर्सिटी के  प्रोफेसर शियाओडोंग सोंग ने भूकंपीय तरंगों का अध्ययन किया, जो 1960 के दशक के बाद से इसी तरह के रास्तों से पृथ्वी के आंतरिक कोर से होकर गुजरी हैं. उन्होंने जो पाया वह अप्रत्याशित था. उन्होंने शोध में लिखा, "हाल के दशक में आंतरिक कोर ने अपना रोटेशन लगभग बंद कर दिया है और ये उल्टी दिशा में घूम सकता है.

क्या फिर होगा विनाश? 

शियाओडोंग सोंग और यी यांग का तर्क है कि, उनकी गणना के आधार पर विद्युत चुम्बकीय और गुरुत्वाकर्षण बलों में एक छोटा सा असंतुलन आंतरिक कोर के रोटेशन को धीमा कर सकता है और उलट भी सकता है. हालांकि इस घुमाव के कुछ पल के लिए ठहरने और दूसरी दिशा में बदलने से धरती की सेहत पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. एक्सपर्ट का ये भी मानना है कि पृथ्वी के केंद्र की घूमने की दिशा में बदलाव होने से प्रलय जैसी कोई स्थिति नहीं बनेगी. 

ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने क्या कहा?

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के एक भूभौतिकीविद् (Geophysicist) ह्रोजे टाल्सिक (Hrvoje Tkalcic) ने कहा कि आंतरिक कोर पूर्ण ठहराव पर नहीं आता है. हालांकि टाल्सिक इस शोध में शामिल नहीं थे. उन्होंने कहा कि एक दशक पहले की तुलना में धरती का आंतरिक कोर अब बाकी ग्रह के साथ अधिक तालमेल में है. पहले ये थोड़ी तेजी से घूम रहा था. उन्होंने कहा कि इससे कुछ भी विनाशकारी प्रभाव नहीं होगा.

कैसी है धरती की संरचना?

पृथ्वी क्रस्ट, मेंटल और आंतरिक और बाहरी कोर से बनी है. ठोस आंतरिक कोर पृथ्वी की सरफेस से करीब 3,200 मील नीचे स्थित है और तरल बाहरी कोर द्वारा अर्ध-ठोस मेंटल से अलग किया गया है, जो आंतरिक कोर को पृथ्वी के घूर्णन से अलग गति से घूमने की अनुमति देता है. करीब 2,200 मील की त्रिज्या के साथ, पृथ्वी का कोर लगभग मंगल ग्रह के आकार का है. इसमें ज्यादातर लोहा और निकल होता है. इसमें पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग एक तिहाई हिस्सा होता है.

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