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ब्रेक्ज़िट के बाद मजबूत व्यापारिक संबंधों की मामले में भारत को प्राथमिकता देगा ब्रिटेन
लंदन: ब्रिटेन सरकार ने आपसी फायदे के करार के तहत 28 देशों के यूरोपीय यूनियन से हटने के लिए अपनी बातचीत की योजना पर एक नीतिगत दस्तावेज पेश किया जिसमें ब्रेक्जिट के बाद के समय में ज्यादा मजबूत व्यापारिक संबंधों के लिए अपनी लक्ष्य सूची में भारत को प्रमुख देशों में शामिल किया गया है. ब्रेक्जिट पर मंत्री डेविड डेविस ने हाउस ऑफ कॉमन्स को बताया कि ब्रिटेन आपसी फायदे के करार के तहत यूरोपीय यूनियन से हटने का रुख अपना रहा है.
डेविस ने संसद से कहा, ‘‘सबसे अच्छे दिन अभी आने हैं.’’ ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन में रहने वाले यूरोपीय यूनियन के नागरिकों के अधिकारों के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मैं लोगों को ब्रिटेन से बाहर नहीं फेकूंगा.’’ उन्होंने कहा कि सरकार ग्रेट रिपील बिल से पहले एक और श्वेत-पत्र प्रकाशित करेगी. यह बिल 28 सदस्यों वाले आर्थिक ब्लॉक से ब्रिटेन के निकलने की ब्रिटेन की मंशा का औपचारिक एलान होगा.
बताते चलें कि ब्रेक्जिट बातचीत शुरू करने पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे को जरूरी संसदीय मंजूरी मिलने के एक दिन बाद सरकार ने अपनी बातचीत योजना पर एक श्वेत-पत्र प्रकाशित किया. श्वेत पत्र में ब्रेक्जिट के लिए मे के 12 सूत्रीय बातचीत उद्देश्यों की चर्चा की गई है जिसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने पिछले महीने अपने भाषण में पेश किया था.
ब्रिटिश सरकार ने अपने श्वेतपत्र में कहा, ‘‘हमने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और भारत जैसे देशों के साथ भावी व्यापारिक रिश्तों पर चर्चा कर रहे हैं.’’ श्वेतपत्र में कहा गया, ‘‘यह विभाग व्यापकतर दुनिया के साथ कारोबार और निवेश रिश्ते प्रगाढ़ करने की ब्रिटेन की आकांक्षा का नेतृत्व करेगा. चीन, ब्राजील और खाड़ी के देश समेत अनेक देश हमारे साथ अपने कारोबारी रिश्ते बढ़ाने की अपनी रूचि जता चुके हैं.’’
इससे पहले हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्यों ने बिल को आगे बढ़ाने के लिए कल 114 के मुकाबले 498 बिल दिए. यह विधेयक ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे को ईयू छोड़ने की औपचारिक प्रक्रिया लिस्बन संधि के आर्टिकल- 50 को प्रभाव में लाने का अधिकार देगा.
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रंगनाथ सिंहवरिष्ठ पत्रकार
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