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क्या फिर टुकड़ों में बंटेगा पाकिस्तान, बलूचिस्तान में भड़की सरकार के खिलाफ चिंगारी? जानें क्यों हो रहा बलूचों का विरोध-प्रदर्शन

Balochistan Protest Reason: बलूचिस्तान में पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट गया है. लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है.

Balochistan Protest: आजादी के बाद भारत से अलग होकर पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) बना, जिसका कंट्रोल पाकिस्तान के पास था. हालांकि, पूर्वी पाकिस्तान में मुस्लिमों की आबादी होने के बाद भी पाकिस्तान ने यहां के लोगों के साथ ज्यादतियां कीं. लोगों को अगवा कर टॉर्चर किया गया. इसका नतीजा ये हुआ कि पूर्वी पाकिस्तान में रहने वाले बंगाली लोगों ने पाकिस्तान के जुल्मों सितम के खिलाफ आवाज उठाई और व्यापक विरोध प्रदर्शन किए. 

पाकिस्तान के जुल्म से बचने के लिए बंगाली लोग भागकर भारत में आने लगे. इसके बाद 1971 में भारत को हस्तक्षेप करना पड़ा और फिर पाकिस्तान के साथ जंग हुई. इसका नतीजा ये हुआ कि पाकिस्तान को जंग में हार मिली और पूर्वी पाकिस्तान आज के पाकिस्तान से आजाद हो गया. जिस तरह से 1971 में पाकिस्तान को अपनी ज्यादतियों के चलते पूर्वी पाकिस्तान गंवाना पड़ा है. ठीक ऐसा ही एक बार फिर से उसके साथ होने का खतरा मंडराने लगा है. 

बलूचिस्तान में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन

दरअसल, पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे बलूचिस्तान में लोगों का गुस्सा सरकार के ऊपर फूट रहा है. सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की ऐसी चिंगारी भड़की है, जिससे लगी आग पाकिस्तान को जला सकती है. बलूचिस्तान में 23 नवंबर से ही बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी ईरान की सीमा से सटे केच जिले से लेकर राजधानी इस्लामाबाद तक 1600 किलोमीटर का मार्च कर रहे हैं. 

बलूचिस्तान को पड़ोसी मुल्क के सबसे अस्थिर इलाकों में से एक माना जाता है. यहां पहले भी धरना-प्रदर्शन होते रहे हैं. हालांकि, इस बार जिस तरह से प्रदर्शन हो रहे हैं, उसने पाकिस्तानी सरकार के माथे पर शिकन की लकीरें खींच दी हैं. इस प्रदर्शन की सबसे ज्यादा खास बात ये है कि इसमें महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. बड़ी संख्या में महिलाओं को पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए देखा गया है. 

किस बात पर हो रहा है प्रदर्शन? 

बलूचिस्तान में हर साल पाकिस्तानी सेना के जरिए सैकड़ों लोगों को अगवा कर लिया जाता है. इनमें से कुछ लोग तो लौटकर आ जाते हैं, मगर कुछ का कभी अता-पता नहीं चलता है. कहा जाता है कि आतंक मिटाने के नाम पर पाकिस्तानी सेना अगवा किए गए लोगों के साथ टॉर्चर करती है. यही वजह है कि प्रदर्शनकारियों की मांग है कि बलूच युवाओं की जबरन गुमशुदगी और हिरासत में हत्याओं का अंत किया जाए और हत्याओं में शामिल लोगों की जवाबदेही तय की जाए.

किस तरह शुरू हुआ मौजूदा प्रदर्शन? 

दरअसल, बलूचिस्तान में प्रदर्शन की शुरुआत के पीछे 24 साल के बलाच मोला बख्श की मौत सबसे बड़ी वजह है. बलूचिस्तान की काउंटर टेरेरिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) ने 20 नवंबर को दर्जी का काम करने वाले बलाच मोला को विस्फोटक होने के आरोप में गिरफ्तार किया. सीटीडी का कहना है कि वह अगले दिन अदालत में पेश हुआ, लेकिन 23 नवंबर को सुरक्षा अधिकारियों और आतंकवादियों के बीच गोलीबारी में उसकी मौत हो गई. 

इस घटना से बलूचिस्तान के लोगों में व्यापक गुस्सा फैल गया. इसके बाद बलाच मोला के तुरबत शहर में हफ्ते भर विरोध प्रदर्शन हुआ. मृतक के परिवार और प्रदर्शनकारियों ने बलाच मोला के शव को सड़क पर रखकर विरोध किया. हत्या के सात दिन बाद उसे दफनाया गया. हालांकि, तब तक लोगों में नाराजगी बढ़ गई थी और इसका नतीजा ये हुआ कि 1600 किमी लंबे विरोध मार्च की शुरुआत हो गई. इस मार्च में बलूचिस्तान के अलग-अलग शहरों से लोग जुड़े हैं.

बलूचिस्तान में कितने लोग गायब हुए? 

वॉयस ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो दशकों से बलूचिस्तान हिंसक विद्रोह की चपेट में है. इसकी वजह से पाकिस्तानी सेना के जरिए जबरन लोगों के गायब होने के मामले बढ़े हैं. कई सार तो शवों को सड़कों और नहरों के किनारे सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है. बलूच अधिकार समूहों का अनुमान है कि 5,000 से अधिक लोगों को जबरदस्ती गायब कर दिया गया है. एक हजार से अधिक लोगों को मार डाला गया है और उनके शवों को फेंक दिया गया है. 

क्या बलूचिस्तान से भी हाथ धो देगा पाकिस्तान? 

बलूचिस्तान पाकिस्तान का वो सूबा है, जहां बड़ी मात्रा में खनिज संपदा मौजूद है. कोयला, सल्फर, क्रोमाइट, लौह अयस्क, बैराइट, संगमरमर से लेकर नेचुरल गैस तक के भंडार बलूचिस्तान में मिले हैं. हालांकि, खनिज संपदा से संपन्न होने के बाद भी बलूचिस्तान पाकिस्तान के सबसे गरीब जगहों में से एक है. यहां की 70 फीसदी आबादी के पास पीने के लिए साफ पानी नहीं है. 60 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है. 

यहां के लोगों के लगता है कि पाकिस्तान उनकी खनिज संपदा का तो इस्तेमाल कर रहा है, मगर इसका फायदा उन्हें नहीं मिल रहा है. इस वजह से यहां कई सारे मिलिशिया संगठन भी हैं, जो पाकिस्तानी प्रोजेक्ट्स और सेना पर हमला करते रहते हैं. हालांकि, अभी कोई भी ऐसा मिलिशिया संगठन नहीं है, जो सीधे तौर पर सेना को चुनौती देकर बलूचिस्तान को अलग कर पाए. यही वजह है कि अभी बलूचिस्तान का पाकिस्तान से टूटना मुश्किल नजर आता है. 

यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में 7 सालों के बाद बिछड़े पुलिसकर्मी बेटे से मिली मां! भीख मांगते हुए चौराहे पर दिखा, जानें पूरी कहानी 

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